क्या नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे ने 'एक स्टेशन, एक उत्पाद' योजना का विस्तार किया?

सारांश
Key Takeaways
- नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे की ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ योजना का विस्तार।
- 112 रेलवे स्टेशनों पर 135 ओएसओपी दुकानें स्थापित।
- स्थानीय कारीगरों के लिए सुविधाजनक अवसर।
- ‘वोकल फॉर लोकल’ के दृष्टिकोण का समर्थन।
- सस्ती दवाइयों के लिए पीएमबीजेके केंद्र की स्थापना।
गुवाहाटी, 16 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। नॉर्थईस्ट फ्रंटियर रेलवे (एनएफआर) ने रेल मंत्रालय की ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ (ओएसओपी) योजना के अंतर्गत महत्वपूर्ण प्रगति की है। अधिकारियों ने गुरुवार को इसकी जानकारी प्रदान की।
वन स्टेशन वन प्रोडक्ट (ओएसओपी) पहल का मुख्य उद्देश्य स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को उनके उत्पादों को रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शित करने और बेचने का अवसर प्रदान करना है।
एनएफआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने बताया कि अक्टूबर 2025 तक एनएफआर के अंतर्गत 112 रेलवे स्टेशनों पर 135 ओएसओपी दुकानें स्थापित की जा चुकी हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अलीपुरद्वार मंडल (पश्चिम बंगाल) में 12 स्टेशन, कटिहार मंडल (बिहार) में 23, असम के लुमडिंग मंडल में 32, रंगिया मंडल में 20 और तिनसुकिया मंडल में 25 स्टेशनों पर ये दुकानें कार्यरत हैं।
क्षेत्र के अनुसार, असम में 71, पश्चिम बंगाल में 26, बिहार में 8, त्रिपुरा में 4, अरुणाचल प्रदेश में 2 और नगालैंड में 1 स्टेशन पर ओएसओपी दुकानें शुरू की गई हैं।
इस पहल के माध्यम से पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थानीय हस्तशिल्प, पारंपरिक उत्पादों और स्वरोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिला है। यह ‘वोकल फॉर लोकल’ के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
इसके अतिरिक्त, एनएफआर प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र (पीएमबीजेके) योजना को भी लागू कर रहा है, जिसके तहत यात्रियों और स्थानीय लोगों को सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां उपलब्ध कराई जा रही हैं। वर्तमान में कटिहार, बदरपुर, अगरतला, न्यू तिनसुकिया और न्यू कूचबिहार में पांच पीएमबीजेके केंद्र कार्यरत हैं।
एनएफआर के एक अधिकारी ने बताया कि ये पहल सामाजिक कल्याण, आर्थिक सशक्तिकरण और यात्रियों की सुविधा के प्रति पूर्वोत्तर रेलवे की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। साथ ही, ये स्थानीय समुदायों के पारंपरिक हस्तशिल्प और आजीविका को बढ़ावा देने में भी मदद कर रही हैं।
पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल के सात जिलों तथा उत्तरी बिहार के पांच जिलों में संचालित होती है।