क्या पीएलआई स्कीम से सोलर मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 43,000 नौकरियां पैदा हुई हैं?
सारांश
Key Takeaways
- पीएलआई स्कीम से 43,000 नौकरियों का सृजन।
- गुजरात और तमिलनाडु के राज्य सबसे बड़े लाभार्थी।
- सरकार का 24,000 करोड़ रुपये का बजट।
- भारत की सोलर मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 121.68 गीगावाट।
- चीन का सोलर पीवी आपूर्ति श्रृंखला में दबदबा।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत सरकार द्वारा सोलर पीवी मॉड्यूल की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम (पीएलआई) के तहत अक्टूबर 2025 तक 43,000 नौकरियां सृजित की गई हैं। इनमें से 11,220 नौकरियां प्रत्यक्ष हैं। यह जानकारी लोकसभा में सरकार ने प्रस्तुत की।
सरकार ने बताया कि इस स्कीम के अंतर्गत गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू एंड कश्मीर, और ओडिशा में रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं।
इस योजना का सबसे बड़ा लाभार्थी राज्य गुजरात रहा है, जहां अदाणी न्यू इंडस्ट्रीज और अन्य कई बड़ी कंपनियों ने मिलकर बड़े प्रोजेक्ट्स के जरिए 22,400 से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न किए हैं।
इसके बाद तमिलनाडु का स्थान है, जहां एफएस इंडिया सोलर वेंचर्स, वीएसएल ग्रीन पावर और टीपी सोलर ने मिलकर 6,800 नौकरियां सृजित की हैं। आंध्र प्रदेश में दो सोलर मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने 1,620 रोजगार के अवसर प्रदान किए हैं। ओडिशा में एएमपीआईएन सोलर ने 200 नौकरियां दी हैं।
रीन्यू फोटोवोल्टिक्स, ग्रू एनर्जी, अवाडा इलेक्ट्रो और अन्य कंपनियों ने कई मल्टी-लोकेशन प्रोजेक्ट्स में सैकड़ों लोगों को रोजगार दिया है।
भारत सरकार 24,000 करोड़ रुपए के बजट से उच्च क्षमता वाले सोलर पीवी मॉड्यूल की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम का संचालन कर रही है।
वर्तमान में भारत की सोलर पीवी मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता 121.68 गीगावाट है। चालू वित्त वर्ष में (सितंबर 2025 तक) देश ने 180.58 लाख सोलर पीवी मॉड्यूल का आयात किया था, जिनकी कुल वैल्यू 386.33 मिलियन डॉलर थी।
रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुसार, भारत की सोलर पीवी मॉड्यूल मैन्युफैक्चरिंग क्षमता मार्च 2027 तक 165 गीगावाट से अधिक हो सकती है।
वैश्विक सोलर पीवी आपूर्ति श्रृंखला पर चीन का दबदबा बना हुआ है, जहां पॉलीसिलिकॉन और वेफर मैन्युफैक्चरिंग में 90 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। वहीं, सेल में 85 प्रतिशत और मॉड्यूल में 80 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।