क्या पीएम मोदी के दौरे ने भारत-जॉर्डन के बीच साझेदारी को नए मोड़ पर पहुंचा दिया?
सारांश
Key Takeaways
- जॉर्डन दौरा भारत-जॉर्डन संबंधों में नया मोड़ है।
- व्यापारिक अवसरों का नया द्वार खुला है।
- फार्मा और हेल्थकेयर में साझेदारी के लिए संभावनाएं।
- भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है।
- दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास मजबूत हो रहा है।
अम्मान, १६ दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जॉर्डन दौरे ने दोनों देशों के बीच संबंधों को एक नए चरण में प्रवेश कराया है। यह जानकारी मंगलवार को व्यापारियों द्वारा साझा की गई।
भारत-जॉर्डन बिजनेस फोरम के दौरान रूकम कैपिटल की संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर अर्चना जहगीरदार ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि दोनों देश कई क्षेत्रों में सहयोग कर सकते हैं। जॉर्डन का समृद्ध इतिहास और प्राकृतिक सौंदर्य इसे फिल्म निर्माण के लिए उपयुक्त बनाता है।
उन्होंने कहा कि भारत के चावल यहाँ काफी लोकप्रिय हैं। पहले चावल अमेरिका और मिस्र से आयात किया जाता था। जॉर्डन की भौगोलिक स्थिति इसे भारत के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदार बना देती है।
इसी कार्यक्रम में फ्लोरेंस शू कंपनी के अकील पनारुआना ने कहा कि आज का दिन दोनों देशों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से सुखद रहा। इससे भारत-जॉर्डन व्यापार में वृद्धि की संभावना है। इस प्रकार के दौरे भारत को एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगे।
गेट-टू-पे की जनरल मैनेजर राशा असफौर ने कहा कि भारत और जॉर्डन के बीच संबंध आपसी विश्वास पर आधारित हैं। पीएम मोदी के दौरे ने इस साझेदारी को मजबूती दी है। जॉर्डन में बेहतर नियामक वातावरण है और भारत में प्रतिभा और स्केल हैं, जिससे दोनों देशों के बीच सहयोग के कई अवसर उत्पन्न होते हैं।
भारत-जॉर्डन बिजनेस फोरम में पीएम मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है और यहाँ की वृद्धि दर ८ प्रतिशत से अधिक है। यह उत्पादकता-संचालित शासन और नवाचार-आधारित नीतियों का परिणाम है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारत में जॉर्डन के निवेशकों के लिए नए अवसर खुल रहे हैं, और वे यहाँ निवेश कर अच्छे रिटर्न कमा सकते हैं।
पीएम मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि फार्मा और मेडिकल उपकरण क्षेत्र में भारत और जॉर्डन के बीच अपार संभावनाएँ हैं। आज हेल्थकेयर केवल एक क्षेत्र नहीं रह गया, बल्कि यह एक रणनीतिक प्राथमिकता बन गई है। यदि भारतीय कंपनियाँ जॉर्डन में दवाएं और चिकित्सा उपकरण बनाती हैं, तो इससे न केवल जॉर्डन के लोगों को लाभ होगा, बल्कि यह जॉर्डन को अफ्रीका और पश्चिम एशिया का एक विश्वसनीय हब भी बना सकता है।