क्या प्रधानमंत्री मोदी की जॉर्डन यात्रा ने भारत-जॉर्डन के आर्थिक संबंधों को नया दिशा दी?
सारांश
Key Takeaways
- 5 महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर हुए
- नवीकरणीय ऊर्जा और जल संसाधन प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित
- द्विपक्षीय व्यापार को 5 अरब डॉलर तक बढ़ाने का लक्ष्य
- भारतीय नागरिकों की संख्या जॉर्डन में 17,500
- तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए आईटी सेंटर की स्थापना
नई दिल्ली, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जॉर्डन यात्रा ने भारत और जॉर्डन के संबंधों को और अधिक सशक्त किया है। इस यात्रा के दौरान 5 महत्वपूर्ण समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर हुए हैं। ये समझौते नवीकरणीय ऊर्जा, जल संसाधन प्रबंधन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान, डिजिटल समाधान और पेट्रा व एलोरा के बीच संबंधों को मजबूत करने से संबंधित हैं। मंगलवार को जारी एक आधिकारिक बयान में इस बात की जानकारी दी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला II के साथ कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की। इन मुद्दों में व्यापार, रक्षा, सुरक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा, उर्वरक और कृषि, सूचना प्रौद्योगिकी, खनिज, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत बनाने जैसे विषय शामिल थे।
प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को अगले पांच वर्षों में 5 अरब डॉलर तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। इसके अलावा, उन्होंने जॉर्डन के डिजिटल भुगतान प्रणाली को भारत के यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से जोड़ने की बात की। वर्तमान में, जॉर्डन भारत के लिए उर्वरकों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है और दोनों देशों की कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर विचार कर रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की जॉर्डन की यह पहली पूर्ण यात्रा दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित की गई है।
भारत, जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और उसे अनाज, फ्रोजन मीट, पेट्रोलियम उत्पाद, पशु चारा आदि निर्यात करता है। वहीं, जॉर्डन भारत के लिए फॉस्फेट और पोटाश उर्वरकों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता भी है।
वर्तमान में लगभग 17,500 भारतीय नागरिक जॉर्डन में निवास करते हैं, जिनमें से अधिकांश कपड़ा, निर्माण, विनिर्माण और स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में कार्यरत हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान जॉर्डन इंडिया फर्टिलाइजर कंपनी (जेआईएफसीओ) जैसे संयुक्त उपक्रमों का उल्लेख किया गया। यह कंपनी भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (आईएफएफसीओ) और जॉर्डन फॉस्फेट माइन कंपनी (जेपीएमसी) के बीच 860 मिलियन डॉलर का संयुक्त उपक्रम है, जो भारत के लिए फॉस्फोरिक ऐसिड का उत्पादन करती है।
इसके अतिरिक्त, 15 से अधिक गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां, जो एनआरआई द्वारा संचालित हैं, जॉर्डन के क्वालिफाइड इंडस्ट्रियल जोन (क्यूआईजेड) में कार्यरत हैं और इसमें 500 मिलियन डॉलर का निवेश किया गया है।
भारत और जॉर्डन के बीच तकनीकी क्षेत्र में भी मजबूत संबंध विकसित हो रहे हैं। जॉर्डन में भारत-जॉर्डन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई है, जो अल-हुसैन टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचटीयू) में स्थित है।
यह केंद्र पूरी तरह से भारत द्वारा वित्तपोषित है और इसमें अत्याधुनिक आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध है, जिसमें सुपर कंप्यूटर परम शावक और अन्य उन्नत प्रशिक्षण सुविधाएं शामिल हैं। भारत सरकार साइबर सुरक्षा, वेब विकास, मशीन लर्निंग और बिग डेटा एनालिटिक्स जैसे उभरते क्षेत्रों में मास्टर ट्रेनर कोर्स का आयोजन करती है।