क्या सरकार ने गरीबों की मदद के लिए सस्ती मेडिकल डिवाइस की दिशा में कदम उठाया है?

सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी की दरों में कमी से मेडिकल डिवाइस की कीमतें घटेंगी।
- सरकार का यह कदम गरीब
- फार्मा इंडस्ट्री और एमएसएमई को लाभ होगा।
- यह निर्णय आगामी त्योहारों में खर्च करने की क्षमता बढ़ाएगा।
- राजनीतिक दृष्टिकोण से यह एक सकारात्मक कदम है।
नई दिल्ली, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। सरकार ने दवाइयों और मेडिकल डिवाइस पर जीएसटी की दरों में कमी लाने का निर्णय लिया है, जिसका फार्मा इंडस्ट्री ने स्वागत किया है। इस कदम का उद्देश्य गरीब लोगों की सहायता करना है, जिससे मेडिकल उत्पादों की कीमतों में कमी आएगी।
एसोसिएशन ऑफ द इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (आईएमईडी) के फोरम कॉर्डिनेटर राजीव नाथ का कहना है कि जनता और उद्योग इस निर्णय की लंबे समय से प्रतीक्षा कर रहे थे। सरकार ने अधिकांश मेडिकल डिवाइस पर जीएसटी को 18% और 12% से घटाकर 5% कर दिया है। इससे घरेलू उपयोग में आने वाले अधिकांश मेडिकल डिवाइस जैसे कि थर्मामीटर, ग्लूकोमीटर, बीपी उपकरण और डायग्नोस्टिक किट की कीमतों में कमी आएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि नई दरों से एमएसएमई को भी फायदा होगा, क्योंकि अधिक जीएसटी के कारण उनके उत्पाद महंगे हो रहे थे और उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता प्रभावित हो रही थी।
फार्माएक्सेल के एमएसएमई चेयरमैन निपुण जैन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गरीब लोगों को ध्यान में रखकर यह कदम उठाया है। जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने से आम आदमी को राहत मिलेगी।
सरकार ने जीवन रक्षक दवाओं, स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों और कुछ चिकित्सा उपकरणों पर कर की दर को 12%/18% से घटाकर 5% या शून्य कर दिया है।
व्यक्तिगत जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों पर टैक्स को शून्य कर दिया गया है। थर्मामीटर और ग्लूकोमीटर जैसी नियमित उपयोग की जाने वाली अधिकांश मेडिकल डिवाइस अब 5% कर दायरे में आएंगी।
इसके अलावा, फाइनेंशियल एक्सपर्ट प्रफुल्ल सारदा ने कहा कि रोजमर्रा की जरूरतों, शिक्षा, बीमा, डेयरी उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े उत्पादों पर जीएसटी कम करना एक सकारात्मक कदम है। इससे निम्न मध्यम वर्ग, वेतनभोगी, छोटे व्यवसायी और अन्य लोग आगामी त्योहारों के मौसम में अधिक खर्च कर सकेंगे। यह सभी के लिए बड़ी राहत है और कई चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह एक समझदारी भरा राजनीतिक निर्णय है।