क्या सेबी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स का मैच्योरिटी पीरियड बढ़ाने पर विचार कर रही है?

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क्या सेबी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स का मैच्योरिटी पीरियड बढ़ाने पर विचार कर रही है?

सारांश

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने हाल ही में इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स के मैच्योरिटी पीरियड को बढ़ाने की संभावनाओं पर चर्चा की। क्या यह निवेशकों के लिए एक नई राह खोलेगा?

Key Takeaways

  • सेबी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स का मैच्योरिटी पीरियड बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रही है।
  • डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में बढ़ोतरी हुई है और रिटेल निवेशक भाग ले रहे हैं।
  • निवेशकों के लिए प्री-आईपीओ कंपनियों में निवेश करना सरल होगा।
  • बड़ी कंपनियों के लिए आईपीओ नियमों में ढील दी जा रही है।
  • खुदरा निवेशकों के लिए हिस्सेदारी कम की जाएगी।

मुंबई, 21 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडे ने गुरुवार को बताया कि सेबी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स का मैच्योरिटी पीरियड बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रही है।

हाल के वर्षों में, भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में तेजी आई है और इसमें बड़ी संख्या में रिटेल निवेशक भाग ले रहे हैं।

सेबी ने पहले भी जोखिम को कम करने के लिए डेरिवेटिव्स की एक्सपायरी और लॉट साइज में परिवर्तन किए हैं, जिससे देश में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग पहले की तुलना में महंगी हो गई है।

पांडे ने कहा कि सेबी अब कारपोरेट कार्य मंत्रालय और स्टॉक एक्सचेंजों के साथ मिलकर एक विनियमित प्लेटफॉर्म स्थापित करेगा, जिसमें सार्वजनिक होने की योजना बना रही गैर-सूचीबद्ध कंपनियों की विश्वसनीय जानकारी होगी।

इस प्रणाली से निवेशकों के लिए प्री-आईपीओ कंपनियों में निवेश करने का निर्णय लेने से पहले उनके प्रदर्शन पर नज़र रखना आसान हो जाएगा।

यह कदम भारतीय बाजारों में डेरिवेटिव और आईपीओ निवेश की बढ़ती मांग के साथ-साथ निवेशक सुरक्षा के संतुलन को दर्शाता है।

इस सप्ताह की शुरुआत में, सेबी ने एक कंसल्टेशन लेटर जारी किया था, जिसमें बहुत बड़ी कंपनियों के लिए अपने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लॉन्च करने के लिए आसान नियमों का प्रस्ताव दिया गया है।

वर्तमान में, बहुत बड़ी कंपनियों को शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने पर अपने शेयरों का एक बड़ा हिस्सा जनता को बेचना पड़ता है।

इससे अक्सर बहुत बड़े आईपीओ सामने आते हैं, जिन्हें एक बार में संभालना बाजार के लिए चुनौतीपूर्ण होता है।

सेबी ने एक नई प्रणाली का सुझाव दिया है जो कंपनियों पर एक साथ इतने सारे शेयर बेचने के तत्काल दबाव को कम करती है। हालाँकि, उन्हें समय के साथ धीरे-धीरे सार्वजनिक शेयरधारिता नियमों का पालन करना होगा।

एक अन्य प्रस्ताव में, 5,000 करोड़ रुपए से अधिक के आईपीओ में खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सेदारी को कम करने का सुझाव दिया गया है। ऐसे बड़े निर्गमों में छोटे निवेशकों के लिए वर्तमान में 35 प्रतिशत के स्थान पर केवल 25 प्रतिशत शेयर ही अलग रखे जाएंगे।

Point of View

जो निवेशक सुरक्षा के साथ-साथ नए निवेश अवसरों को भी बढ़ावा दे सकता है।
NationPress
23/08/2025

Frequently Asked Questions

सेबी क्या कर रही है?
सेबी इक्विटी डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स का मैच्योरिटी पीरियड बढ़ाने के उपायों पर विचार कर रही है।
डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में क्या वृद्धि हुई है?
हाल के वर्षों में भारतीय शेयर बाजार में डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में तेजी आई है।
निवेशकों के लिए क्या सुविधा होगी?
एक नई प्रणाली के माध्यम से निवेशक प्री-आईपीओ कंपनियों के प्रदर्शन पर नजर रख सकेंगे।