क्या सेमीकॉन इंडिया ने 12 समझौतों पर हस्ताक्षर कर 1 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता हासिल की?

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क्या सेमीकॉन इंडिया ने 12 समझौतों पर हस्ताक्षर कर 1 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता हासिल की?

सारांश

भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा ने एक नया अध्याय लिखा है। 12 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर और 1 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता ने देश को सेमीकंडक्टर हब बनने की ओर अग्रसर किया है। जानिए इस ऐतिहासिक क्षण के पीछे की कहानी और भविष्य के लिए इसकी संभावनाएँ।

Key Takeaways

  • भारत ने 12 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
  • डीप टेक अलायंस का गठन किया गया है।
  • भारत की सेमीकंडक्टर निर्माण लागत वैश्विक मानकों की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी है।
  • भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
  • भारत में 28 से अधिक स्टार्टअप्स प्रोजेक्ट से प्रोडक्ट की ओर बढ़ चुके हैं।

नई दिल्ली, 2 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया, जब केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने देश की पहली 'मेड-इन-इंडिया' चिप प्रधानमंत्री मोदी को भेंट की। 'सेमीकॉन इंडिया 2025' सम्मेलन के दौरान कुल 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।

ये समझौते कैमरा मॉड्यूल, माइक्रोफोन बड्स, मिनिएचर पैकेजिंग, और प्रतिभा विकास इकोसिस्टम जैसे क्षेत्रों में स्वदेशी तकनीकों के विकास पर केंद्रित हैं।

सम्मेलन में मंत्री वैष्णव ने 'डीप टेक अलायंस' के गठन की घोषणा की, जिसमें 1 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता पहले ही प्राप्त हो चुकी है।

प्रारंभ में यह अलायंस सेमीकंडेक्टर्स पर ध्यान केंद्रित करेगा, लेकिन आगे जाकर यह क्लीन एनर्जी, बायोटेक्नोलॉजी, क्वांटम टेक्नोलॉजी, और स्पेस जैसे अग्रणी क्षेत्रों में भी विस्तार करेगा।

मंत्री ने बताया कि सेमीकंडक्टर निर्माण में भारत की लागत वैश्विक मानकों की तुलना में 15 से 30 प्रतिशत अधिक प्रतिस्पर्धी है। भारत ने परियोजनाओं को जल्दबाजी में स्वीकृति नहीं दी है, बल्कि हर परियोजना को व्यावसायिक मूल्यांकन के बाद ही मंजूरी दी गई है, जिससे स्थायी विकास सुनिश्चित हो सके।

वर्तमान में भारत में दो सेमीकंडक्टर फैब्स (चिप निर्माण इकाइयाँ) सक्रिय हैं और कई अन्य पाइपलाइन में हैं, जिससे भारत इस क्षेत्र में स्थिर गति से आगे बढ़ रहा है।

इस आयोजन में एक अनोखी पहल के तहत 20 चिप्स, जो भारतीय छात्रों द्वारा सेमीकंडक्टर लैब में डिजाइन और तैयार की गई थीं, प्रधानमंत्री को प्रस्तुत की गईं।

मंत्री ने बताया कि देश की 78 यूनिवर्सिटी अब एडवांस्ड टूल्स का उपयोग कर रही हैं, जिससे भारत का सेमीकंडक्टर टैलेंट पूल अब वैश्विक सेमीकंडक्टर वर्कफोर्स का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा बन चुका है।

भारत में 28 से अधिक स्टार्टअप्स प्रोजेक्ट से प्रोडक्ट की ओर बढ़ चुके हैं। हालिया समझौतों का फोकस पूरे आईओटी चिपसेट और कैमरा सिस्टम पर है। आईआईटी मद्रास जैसे संस्थानों ने स्वदेशी माइक्रोकंट्रोलर और प्रोसेसर जारी किए हैं। डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव योजना के अंतर्गत कई बहुमूल्य आईपी विकसित हुए हैं और 25 प्राथमिक उत्पादों की पहचान की गई है।

भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। भारत अब प्रतिभा, भरोसे और तकनीक के दम पर वैश्विक सेमीकंडक्टर हब बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।

यह चिप एक पायलट लाइन से तैयार की गई है, जो भारत के सेमीकंडक्टर मिशन की तेज प्रगति को दर्शाती है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि भारत की सेमीकंडक्टर यात्रा न केवल तकनीकी विकास के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह देश की आर्थिक स्थिरता और आत्मनिर्भरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस दिशा में उठाए गए कदम देश को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएंगे।
NationPress
03/09/2025

Frequently Asked Questions

सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन में क्या हुआ?
सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन में 12 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए और 1 बिलियन डॉलर की प्रतिबद्धता की घोषणा की गई।
डीप टेक अलायंस का उद्देश्य क्या है?
डीप टेक अलायंस का उद्देश्य सेमीकंडक्टर्स के क्षेत्र में नवाचार और विकास को बढ़ावा देना है।
भारत में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री का भविष्य क्या है?
भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।