क्या त्योहारी मांग और नीतिगत बदलावों ने अगस्त में यूपीआई को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचाया?

सारांश
Key Takeaways
- अगस्त 2025 में यूपीआई लेनदेन 20.01 अरब तक पहुंचा।
- त्योहारी मांग और नीतिगत बदलावों ने इस वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- यूपीआई अब भारत के सभी डिजिटल लेनदेन का 85 प्रतिशत है।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूपीआई का विस्तार हो रहा है।
- डिजिटल इंडिया पहल ने यूपीआई के उपयोग को बढ़ावा दिया है।
नई दिल्ली, 3 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। भारत के रीयल-टाइम डिजिटल भुगतान प्रणाली यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने अगस्त 2025 में 20.01 अरब लेनदेन का आंकड़ा छू लिया, जो मुख्यतः त्योहारी मांग, तकनीकी प्रगति और नीतिगत बदलावों के चलते संभव हुआ। यह जानकारी बुधवार को एक रिपोर्ट में सामने आई।
इंडिया नैरेटिव में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता खर्च में मौसमी वृद्धि, विशेषकर त्योहारी मांग की शुरुआत के साथ, अगस्त में यूपीआई लेनदेन में सालाना आधार पर 34 प्रतिशत और मासिक आधार पर लगभग 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत सरकार और आरबीआई ने प्रोत्साहनों, नियामकीय सहायता और यूपीआई क्रेडिट तथा बेहतर इंटरऑपरेबिलिटी जैसी सुविधाओं के निरंतर विस्तार के माध्यम से यूपीआई को अपनाने को बढ़ावा दिया, जो इस वृद्धि का महत्वपूर्ण कारण बन गया।
अगस्त में, यूपीआई के जरिए 24.85 लाख करोड़ रुपए (281 अरब डॉलर) का लेनदेन हुआ, जिसमें औसतन 64.5 करोड़ दैनिक लेनदेन हुए।
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारत में अब 90 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपयोगकर्ता और कम से कम 50 करोड़ स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं, जिनसे अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में यूपीआई तक निर्बाध पहुंच संभव हो रही है, जहां डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़ रहे हैं।
अगस्त 2025 में फास्टटैग में जुलाई के मुकाबले 3 प्रतिशत की वृद्धि और आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) में 24 प्रतिशत की वृद्धि (128.17 मिलियन) भी दर्ज की गई।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) ने फोनपे और गूगल पे जैसे ऐप्स के बीच इंटरऑपरेबिलिटी को सक्षम किया है, जिससे यूपीआई आईडी या क्यूआर कोड का उपयोग कर तत्काल ट्रांसफर संभव हो गया है।
उपयोगिताएं, ई-कॉमर्स, परिवहन और छोटे व्यापारियों सहित बढ़ते क्षेत्रों में यूपीआई को स्वीकार किया जा रहा है, जो सूक्ष्म और वृहद दोनों तरह के लेनदेन के लिए इसकी बढ़ती प्रासंगिकता को दर्शाता है।
सरकार की डिजिटल इंडिया पहल ने आरबीआई के नियामक समर्थन के साथ कम मूल्य के भुगतान और क्रेडिट इंटीग्रेशन के लिए यूपीआई लाइट की शुरुआत की, जिससे उपयोग के मामले व्यापक हुए।
यूपीआई अब भारत में सभी डिजिटल लेनदेन का 85 प्रतिशत और वैश्विक स्तर पर लगभग आधे रीयल-टाइम भुगतान की हिस्सेदारी रखता है। 2025 में फ्रांस सहित सात देशों में यूपीआई का लाइव रोलआउट इसके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव और स्वीकार्यता को दर्शाता है।