क्या भारत वैश्विक डाक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने जा रहा है? : सिंधिया

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क्या भारत वैश्विक डाक क्षेत्र को मजबूत करने के लिए 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देने जा रहा है? : सिंधिया

सारांश

क्या भारत 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देकर वैश्विक डाक क्षेत्र को सशक्त करेगा? केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की पहल से सीमा-पार धन प्रेषण में सुधार होगा। जानिए इस ऐतिहासिक परियोजना के पीछे की कहानी और इसके प्रभाव।

Key Takeaways

  • यूपीआई-यूपीयू इंटीग्रेशन से सीमा-पार धन प्रेषण में सुधार होगा।
  • भारत का 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देगा।
  • यह पहल डाक नेटवर्क और यूपीआई की विश्वसनीयता को जोड़ती है।
  • केंद्रीय मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में की गई उपलब्धियों का उल्लेख किया।
  • भारत वैश्विक डाक समुदाय के लिए एक समावेशी भविष्य का निर्माण कर रहा है।

दुबई, 9 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दुबई में आयोजित 28वें यूनिवर्सल पोस्टल कांग्रेस में यूपीआई-यूपीयू इंटीग्रेशन प्रोजेक्ट का शुभारंभ किया। यह ऐतिहासिक पहल विश्वभर के करोड़ों लोगों के लिए सीमा-पार धन प्रेषण की प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।

यह तकनीक भारत के डाक विभाग, एनपीसीआई इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (एनआईपीएल) और यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) के सहयोग से विकसित की गई है। इस परियोजना में भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को यूपीयू इंटरकनेक्शन प्लेटफॉर्म (आईपी) से जोड़ा गया है, जिससे डाक नेटवर्क की पहुंच और यूपीआई की गति व किफायत का अद्वितीय संयोजन स्थापित हुआ है।

इस अवसर पर सिंधिया ने कहा कि यह केवल टेक्नोलॉजी लॉन्च नहीं है, बल्कि एक सामाजिक संकल्प है। डाक नेटवर्क की विश्वसनीयता और यूपीआई की तेजी मिलकर यह सुनिश्चित करेगी कि परिवार सीमाओं के पार भी तेज, सुरक्षित और कम लागत पर धन भेज सकें। यह साबित करता है कि नागरिकों के लिए बनी सार्वजनिक संरचनाएं, सीमाओं के पार जुड़कर मानवता की बेहतर सेवा कर सकती हैं।

केंद्रीय मंत्री ने भारत की आधुनिक, समावेशी डाक प्रणाली की कार्ययोजना साझा की, जिसे उन्होंने चार क्रियाओं से परिभाषित किया। कनेक्ट - डेटा-आधारित लॉजिस्टिक्स के माध्यम से निर्बाध जोड़। इंक्लूड - हर प्रवासी और डिजिटल उद्यम तक किफायती डिजिटल वित्तीय सेवाएं पहुंचाना। मॉडर्नाइज - एआई, डिजिपिन और मशीन लर्निंग का उपयोग। कोऑपरेट - दक्षिण-दक्षिण सहयोग और यूपीयू समर्थित तकनीकी प्रकोष्ठ।

अपने संबोधन में सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आधार, जनधन और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के साथ हमने 560 मिलियन से अधिक खाते खोले हैं, जिनमें अधिकांश महिलाओं के नाम पर हैं। इंडिया पोस्ट ने पिछले वर्ष 900 मिलियन से अधिक पत्र और पार्सल वितरित किए। यही पैमाना और यही समावेश की भावना हम वैश्विक मंच पर लेकर आते हैं।

केंद्रीय मंत्री सिंधिया ने घोषणा की कि भारत इस चक्र में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा ताकि तकनीक के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके, विशेषकर ई-कॉमर्स और डिजिटल पेमेंट्स पर फोकस के साथ। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ के संकल्प को आगे बढ़ाते हुए कहा कि भारत संसाधनों, विशेषज्ञता और मित्रता के साथ विश्व समुदाय के साथ खड़ा है।

इस दौरान सिंधिया ने यह भी घोषणा की कि भारत यूपीयू काउंसिल ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन और पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल दोनों में अपनी दावेदारी पेश करेगा। इससे भारत की यह प्रतिबद्धता और मजबूत होती है कि वह वैश्विक डाक समुदाय के लिए एक जुड़ा हुआ, समावेशी और सतत भविष्य बनाने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।

सिंधिया ने कहा कि भारत आपके पास प्रस्ताव लेकर नहीं, बल्कि साझेदारी लेकर आया है। हम ऐसे समाधान बनाने में विश्वास रखते हैं, जो महंगे विखंडन से बचाएं और भरोसे के साथ भुगतान, पहचान, पता और लॉजिस्टिक्स जुड़कर वैश्विक व्यापार को सहज बना सकें।

Point of View

बल्कि यह वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है। यह परियोजना सीमाओं के पार आर्थिक कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस प्रयास है।

NationPress
09/09/2025

Frequently Asked Questions

भारत का यूपीआई-यूपीयू इंटीग्रेशन प्रोजेक्ट क्या है?
यह परियोजना भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) के साथ जोड़कर सीमा-पार धन प्रेषण को आसान बनाती है।
भारत इस परियोजना में कितना योगदान देगा?
भारत इस परियोजना में 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देगा।
इस परियोजना का उद्देश्य क्या है?
इसका उद्देश्य सीमा-पार धन प्रेषण को तेज, सुरक्षित और किफायती बनाना है।
क्या यह सिर्फ तकनीकी पहल है?
नहीं, यह एक सामाजिक संकल्प भी है जो नागरिकों के लिए बेहतर वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने का प्रयास है।
इस पहल से कौन लाभान्वित होगा?
इस पहल से वैश्विक स्तर पर करोड़ों लोग, विशेषकर प्रवासी और उनके परिवार लाभान्वित होंगे।