क्या थोक महंगाई दर आने वाले समय में एक सीमित दायरे में रह सकती है?

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क्या थोक महंगाई दर आने वाले समय में एक सीमित दायरे में रह सकती है?

सारांश

अक्टूबर के थोक महंगाई दर के आंकड़ों में नकारात्मकता के चलते उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में कमी और खाद्यान्नों के बफर स्टॉक के कारण महंगाई सीमित रह सकती है। जानिए इसमें और क्या जानकारी है।

Key Takeaways

  • थोक महंगाई दर अक्टूबर में -1.21 प्रतिशत रही।
  • कच्चे तेल की कीमतों में कमी से महंगाई सीमित रह सकती है।
  • खाद्य उत्पादों में -5.04 प्रतिशत की गिरावट आई है।
  • बैंक ऑफ बड़ौदा ने मांग में सुधार की संभावना जताई है।
  • मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों में -0.07 प्रतिशत की गिरावट हुई है।

नई दिल्ली, 14 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। अक्टूबर में थोक महंगाई दर के आंकड़ों के नकारात्मक रहने पर इंडस्ट्री बॉडी ने प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने के कारण थोक महंगाई दर भविष्य में एक सीमित दायरे में रह सकती है।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के सीईओ और महासचिव डॉ. रंजीत मेहता ने कहा, "हमें यह उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में कमजोरी, खाद्यान्नों के पर्याप्त बफर स्टॉक और अच्छी खरीफ फसल के चलते थोक महंगाई दर भविष्य में सीमित दायरे में रहेगी।"

सरकारी क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने अनुमान में कहा है कि यदि 43 दिनों के शटडाउन के बाद अमेरिकी सरकार फिर से खुलती है, तो मांग में सुधार होने पर अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी और तेल की कीमतों में कुछ बढ़ोतरी संभव है।

बैंक ने यह भी बताया कि वैश्विक आपूर्ति में अपेक्षा से अधिक सरप्लस तेल की कीमतों पर दबाव डाल सकता है, जिससे आने वाले महीनों में ईंधन में महंगाई कम रह सकती है।

भारत में थोक मुद्रास्फीति दर अक्टूबर में कम होकर -1.21 प्रतिशत रह गई है, जो कि सितंबर में 0.13 प्रतिशत थी। वहीं, अक्टूबर 2024 में यह 2.8 प्रतिशत थी।

पीएचडीसीसीआई के अध्यक्ष राजीव जुनेजा ने कहा कि यह गिरावट मुख्य रूप से खाद्य पदार्थों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, बिजली, खनिज तेल और बेसिक मेटल की मैन्युफैक्चरिंग आदि की कीमतों में कमी के कारण हुई है।

मैन्युफैक्चरिंग उत्पादों में थोक महंगाई दर अक्टूबर में -0.07 प्रतिशत रही। इसमें से 22 श्रेणियों में से 7 में कीमतों में गिरावट देखी गई, जिनमें केमिलकल, बेसिक मेटल और मोटर वाहन शामिल हैं। वहीं, कपड़ा, खाद्य उत्पाद, इलेक्ट्रॉनिक्स और विद्युत उपकरण जैसी 11 श्रेणियों में कीमतों में वृद्धि हुई। चार श्रेणियों में कोई बदलाव नहीं हुआ।

अक्टूबर में थोक महंगाई दर के नकारात्मक जोन में रहने का कारण खाद्य उत्पादों, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस, इलेक्ट्रिसिटी और मिनरल ऑयल की कीमतों में कमी आना है।

पिछले महीने खाद्य उत्पादों में थोक महंगाई दर -5.04 प्रतिशत रही, जो कि सितंबर में -1.99 प्रतिशत थी। यह दर्शाता है कि थोक उत्पादों की कीमतें पिछले साल की तुलना में घटी हैं।

-राष्ट्र प्रेस

एबीएस/

Point of View

यह स्पष्ट है कि थोक महंगाई दर में गिरावट भारत की आर्थिक स्थिति को दर्शाती है। हालांकि, हमें भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों और वैश्विक आपूर्ति पर ध्यान देना होगा।
NationPress
15/11/2025

Frequently Asked Questions

थोक महंगाई दर क्या है?
थोक महंगाई दर वह दर है, जिस पर उत्पादकों को सामान की कीमत चुकानी पड़ती है। यह दर अर्थव्यवस्था की महंगाई को दर्शाती है।
भविष्य में महंगाई दर क्या होगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में कमी और खाद्यान्नों के बफर स्टॉक के चलते महंगाई दर सीमित रह सकती है।
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