क्या छह महीने की रिसर्च और लोकल आर्ट से 'लापता लेडीज' का कैनवास सजाया गया?

सारांश
Key Takeaways
- फिल्म 'लापता लेडीज' नारी सशक्तीकरण पर जोर देती है।
- यह फिल्म छह महीने की गहन रिसर्च का परिणाम है।
- किरण राव का उद्देश्य असली भारतीय गांवों की सुंदरता को प्रदर्शित करना था।
- फिल्म ने 13 फिल्मफेयर अवार्ड जीते हैं।
- यह नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है।
मुंबई, 15 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। किरण राव के निर्देशन में बनी फिल्म 'लापता लेडीज' को हाल ही में फिल्मफेयर अवॉर्ड में 13 पुरस्कार मिले हैं। इस फिल्म में स्पर्श श्रीवास्तव, नितांशी गोयल, प्रतिभा रांटा, छाया कदम और रवि किशन जैसे कलाकार शामिल हैं।
फिल्म की कहानी दो नई नवेली बहुओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो रेल यात्रा के दौरान गलती से एक-दूसरे के साथ बदल जाती हैं। इसके बाद हास्य, ड्रामा और जीवन के महत्वपूर्ण पाठों का एक सफर शुरू होता है। यह फिल्म नारी सशक्तीकरण पर एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जिसके लिए इसे व्यापक प्रशंसा मिली है।
किरण राव ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत में बताया कि फिल्म की सफलता के लिए उन्होंने और उनकी टीम ने काफी गहन रिसर्च की। उन्होंने छह महीने तक लोकल आर्ट और फोटोग्राफी पर काम किया, जिससे इस फिल्म की दुनिया को जीवंत किया जा सका।
किरण ने प्रोडक्शन डिजाइन पर चर्चा करते हुए कहा, “मुझे विश्वास था कि फिल्म का प्रभाव तभी होगा जब हम एक ऐसी दुनिया बनाएंगे जो असली लगे। इसमें भारतीय गांवों की वास्तविक सुंदरता होनी चाहिए, बिना किसी कृत्रिमता के। मैंने अपने प्रोडक्शन डिजाइनर विक्रम सिंह के साथ मिलकर शूटिंग से पहले कम से कम छह महीने की तैयारी की।”
उन्होंने कहा, “हमने पिछले 20 वर्षों की गांवों की अनेक तस्वीरों में खुद को नहीं डुबोया, क्योंकि उस समय में बहुत कुछ बदल चुका है। हम ऐसे गांव चाहते थे जो बदलाव की दहलीज पर खड़े हों। इसलिए विजुअल रिसर्च में काफी समय लगा, खासकर ग्रामीण घरों के अंदर और बाहर की पारंपरिक पेंटिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया।”
यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है, जहाँ आप इसे देख सकते हैं।