क्या अनुपम खेर ने आइकन अभिनेत्री कामिनी कौशल के निधन पर दुख व्यक्त किया?
सारांश
Key Takeaways
- कामिनी कौशल का निधन भारतीय सिनेमा के लिए एक बड़ा नुकसान है।
- अनुपम खेर ने उन्हें भावुक श्रद्धांजलि दी।
- उनकी पहली फिल्म 'नीचा नगर' ने कान फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार जीता।
- कामिनी की अदाकारी और योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।
- वह एक प्रतिभाशाली कलाकार और इंसान थीं।
नई दिल्ली, 15 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। कामिनी कौशल, जिन्होंने भारतीय सिनेमा में लगभग सात दशकों तक अपनी अदाकारी से दर्शकों का दिल जीता, अब इस दुनिया में नहीं रहीं। उनका निधन पिछले शुक्रवार को 98 साल की उम्र में हो गया। यह एक बड़ा नुकसान है भारतीय सिनेमा के लिए। अनुपम खेर ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए अपनी भावनाएं साझा की हैं।
अनुपम खेर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "कामिनी कौशल जी सिर्फ एक महान कलाकार नहीं, बल्कि एक अद्भुत इंसान भी थीं। जब भी मैं उनसे मिला, उन्होंने हमेशा मुस्कराकर और स्नेह से मेरा स्वागत किया और मुझे हमेशा प्रेरित किया। उनका नाम भारतीय फिल्म इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा! ओम शांति!"
कामिनी कौशल ने हिंदी सिनेमा में लगभग 6-7 दशकों तक काम किया। उनकी पहली फिल्म 1946 में आई 'नीचा नगर' थी, जो कि काफी सफल रही। इस फिल्म ने कान फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पाल्मे डी’अवॉर्ड जीता। यह उपलब्धि उस समय किसी भी निर्देशक और अभिनेत्री के लिए गोल्ड मेडल जीतने के समान थी। इसके बाद, उन्होंने कई सफल फिल्में कीं और अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया।
उन्होंने 1960, 1970 और 1980 के दशक में कई बड़े मेगास्टार के साथ काम किया। कामिनी कौशल को 1948 में 'शहीद', 'नदिया के पार', 'जिद्दी', 1949 में 'शबनम', 1950 में 'आरजू', और 1954 में 'बिराज बहू' जैसी फिल्मों में देखा गया। उनका आखिरी प्रदर्शन आमिर खान की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' में था, जिसमें उन्होंने एक महिला का किरदार निभाया था।
केवल अभिनय में ही नहीं, बल्कि कामिनी पढ़ाई में भी अव्वल थीं। वे लाहौर के एक सम्मानित परिवार से थीं और उनका असली नाम उमा कश्यप था। उनके पिता प्रसिद्ध वनस्पतिशास्त्री थे। कामिनी को बचपन से तैराकी, भरतनाट्यम और घुड़सवारी का शौक था, जिसे उन्होंने अपने जीवन में पूरा किया। वे रंगमंच और रेडियो का हिस्सा रहीं, जिसने उनकी कला को और निखारा।