क्या कभी भी किसी भी चीज को हल्के में न लेने की सीख दे रहे हैं बिग बी?

सारांश
Key Takeaways
- कभी भी किसी चीज को हल्के में न लें।
- सफलता के लिए लगन और धैर्य आवश्यक हैं।
- अधिकार और ताकत के सामने झुकने से बचें।
- एक राह पकड़कर चलते रहो।
- कुछ रिश्ते और लम्हे हमें कभी नहीं छोड़ते।
मुंबई, 20 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड के शहंशाह और सदी के महानायक अमिताभ बच्चन केवल फिल्मों के लिए ही नहीं जाने जाते, बल्कि अपने सोशल मीडिया पोस्ट और विचारों के लिए भी प्रसिद्ध हैं। चाहे वह मंच पर हों, स्क्रीन पर या फिर अपने ब्लॉग में, उनके शब्द हमेशा दिल को छू जाते हैं। एक बार फिर, बिग बी अपने ब्लॉग के कारण चर्चा में हैं।
हाल ही में, उन्होंने अपने आधिकारिक ब्लॉग पर 'कौन बनेगा करोड़पति 17' के सेट से कई तस्वीरें साझा कीं, जिसमें बिग बी अपने खास अंदाज में मुस्कुराते हुए नजर आ रहे हैं। उनके चेहरे की चमक यह दिखाती है कि वे आज भी अपने काम को पूरी लगन और मेहनत से करते हैं।
इस ब्लॉग की शुरुआत करते हुए, बिग बी ने लिखा, ''कभी भी किसी भी चीज को हल्के में न लें।''
उन्होंने उस स्थिति की ओर इशारा किया, जहां लोग अधिकार या ताकत के सामने झुक जाते हैं और सही निर्णय लेने में हिचकिचाते हैं। उन्होंने लिखा, ''कभी-कभी हम अधिकारों के सामने झुकते हैं, और अगर सही मायने में झुकें, तो यह ठीक भी होता है, लेकिन अक्सर लोग खुद को ऐसे हालात में पाते हैं, जहां वे सही को लेकर असमंजस में होते हैं... और फिर वे बस किनारे बैठे रहते हैं।''
इसके आगे, बिग बी एक सीधा और सच्चा रास्ता सुझाते हैं और अपने पिता हरिवंशराय बच्चन की कविता 'मधुशाला' का जिक्र करते हुए समझाते हैं कि दुनिया चाहे कितने भी रास्ते बताए, लेकिन अगर तुम एक राह पकड़कर उस पर लगातार चलते रहो, तो मंजिल जरूर मिलेगी।
अपने विचार साझा करते हुए वे लिखते हैं, ''अलग-अलग पथ बतलाते सब, पर मैं ये बतलाता हूं, राह पकड़ तू एक चला चल, पा जाएगा मधुशाला!!''
आगे वे बताते हैं कि तुम्हारी मंजिल तक पहुंचने का केवल एक ही रास्ता है, लगातार चलते रहना। यह लगन और धैर्य सफलता की कुंजी है। उन्होंने लिखा, ''तुम्हारी आखिरी मंजिल तक पहुंचने के लिए बस एक ही रास्ता है, उसी पर चलते रहो और तुम वहां पहुंच जाओगे।''
इसके आगे, अमिताभ भावुक होते हुए लिखते हैं, ''कभी-कभी जो मिलते हैं, छोड़ते नहीं, तो क्या किया जाए?''... यानी कुछ रिश्ते, यादें या लम्हे ऐसे होते हैं जो हमें छोड़ते ही नहीं, और फिर हम मजबूरी में उनसे विदा लेते हैं।