क्या दारा सिंह बर्थडे स्पेशल में पहलवान या भगवान हनुमान के रूप में अमर हो गए?
सारांश
Key Takeaways
- दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को हुआ।
- उन्हें पहलवानी में रुस्तम-ए-हिंद और फिल्म में बजरंगबली के किरदार के लिए जाना जाता है।
- उनकी फिल्मों की संख्या 150 से अधिक है।
- उन्होंने 500 से अधिक कुश्ती मुकाबलों में जीत हासिल की।
- दारा सिंह का निधन 12 जुलाई 2012 को हुआ।
नई दिल्ली, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पहलवानी और अभिनय का आपस में कोई संबंध नहीं है। ये दोनों क्षेत्र ऐसे हैं जैसे नदी के दो किनारे, जिनका मिलना असंभव है। लेकिन, अपनी प्रतिभा और क्षमता के बल पर जिन चंद व्यक्तियों ने दोनों क्षेत्रों में सफलता प्राप्त की है, उनमें दारा सिंह का नाम शीर्ष पर है। दारा सिंह जब पहलवानी करते थे, तो उनके समान कोई पहलवान नहीं था और जब उन्होंने रामायण में भगवान हनुमान का किरदार निभाया, तो ऐसा कोई अन्य अभिनेता नहीं हुआ जिसने उनकी तरह इसे निभाया। उनके निजी जीवन और पर्दे पर दोनों स्थानों पर उन्होंने एक अमिट छाप छोड़ी।
दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। उनका असली नाम दीदार सिंह रंधावा था। बचपन से ही उन्हें पहलवानी का शौक था और उन्होंने इसे अपने पेशे में बदल दिया। 1950 के दशक में उन्होंने प्रोफेशनल फ्रीस्टाइल कुश्ती शुरू की। 1954 में उन्होंने कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप जीती। इसके बाद वे दुनिया के विभिन्न बड़े कुश्ती अखाड़ों में उतरे और विश्व के महान पहलवानों जैसे किंगकांग (हंगरी), जॉन डा सिल्वा, स्कीहिप्पर, जॉर्ज गॉर्डिएंको, लू थीज आदि को हराया। लगभग 500 से अधिक पेशेवर मुकाबलों में वे कभी नहीं हारे।
लगभग 3 दशक तक पहलवानी के क्षेत्र में सक्रिय रहे दारा सिंह को रुस्तम-ए-हिंद, रुस्तम-ए-पंजाब और विश्व के अजेय पहलवान के रूप में जाना जाता था। 55 वर्ष की उम्र में 1983 में उन्होंने पहलवानी को अलविदा कह दिया।
पहलवानी छोड़ने के बाद उन्होंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म संगदिल थी, जो 1952 में रिलीज हुई थी। बतौर अभिनेता उनकी पहचान 1962 में रिलीज हुई किंगकांग से बनी। इसके बाद उन्होंने फौलाद, समसोन, वीर भीमसेन जैसी अनेक फिल्मों में काम किया। उन्होंने 150 से अधिक फिल्मों में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
अभिनय की दुनिया में दारा सिंह को विशेष पहचान रामायण में बजरंगबली के किरदार से मिली। इस पौराणिक सीरियल में भगवान हनुमान का किरदार निभाते हुए उन्होंने जो अमर छाप छोड़ी, उसका कोई सानी नहीं है। जब भी भगवान हनुमान का नाम आता है, दारा सिंह का चेहरा सामने आता है। यह उनकी सफलता का प्रतीक है।
पहलवानी और सिनेमा के बाद दारा सिंह ने राजनीति में भी कदम रखा और 2003 से 2009 तक राज्यसभा सांसद रहे। दारा सिंह की आखिरी हिंदी फिल्म 2007 में रिलीज हुई 'जब वी मेट' थी। 12 जुलाई 2012 को 83 वर्ष की उम्र में मुंबई में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।