क्या शेखर कपूर की <b>मुंबई आर्ट शो</b> में राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स के अनुभव ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया?
सारांश
Key Takeaways
- शेखर कपूर का अनुभव कला के प्रति उनकी गहरी रुचि को दर्शाता है।
- राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स का महत्व आज भी प्रासंगिक है।
- मुंबई आर्ट शो युवा कलाकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।
मुंबई, 18 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म निर्माता और निर्देशक शेखर कपूर ने हाल ही में मुंबई आर्ट शो में राजा रवि वर्मा की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी का दौरा किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक विस्तृत पोस्ट साझा कर अपने अनुभव को बयां किया और कहा कि राजा रवि वर्मा की मूल पेंटिंग्स को देखना एक अद्वितीय अनुभव है।
शेखर कपूर ने लिखा कि मुंबई आर्ट शो में शामिल होना उनके लिए एक विशेष अवसर था। वहां उन्होंने युवा कलाकारों को कला पर गहन चर्चा करते और उसका विश्लेषण करते देखा, जो उन्हें बहुत प्रेरणादायक लगा। उन्होंने कहा, "मुंबई आर्ट शो के लिए आना सच में एक सौभाग्य की बात है। इतने सारे युवाओं को कला पर चर्चा करते और उसका विश्लेषण करते देखना एक अद्भुत अनुभव था। काश मैं आर्ट शो में और समय बिता पाता।"
फिल्म निर्माता के लिए सबसे खास क्षण रहा राजा रवि वर्मा की तस्वीरों की प्रदर्शनी देखना। उन्होंने उन्हें भारत के महान चित्रकारों में से एक माना। उनका मानना है कि रवि वर्मा ने भारतीय कला को जिस तरह से विकसित किया, वैसा शायद ही किसी और ने किया हो। आज भी उनका प्रभाव कैलेंडर आर्ट से लेकर आम घरों की दीवारों तक देखा जा सकता है।
उन्होंने कहा, "बेहतरीन कलाकृतियों के बीच में राजा रवि वर्मा की तस्वीरों की प्रदर्शनी देखना एक अनूठा अनुभव था। निश्चित रूप से उन्हें सर्वकालिक महानतम भारतीय चित्रकारों में से एक माना जाता है... हालांकि कई लोग इस पर विवाद कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने कला को उस रूप में प्रभावित किया है जैसा किसी और ने नहीं किया।"
प्रदर्शनी में राजा रवि वर्मा की दो मूल पेंटिंग्स को देख कर उन्होंने बताया, "यह जिंदगी भर ताजमहल की तस्वीरें देखते रहने जैसा है और अचानक असली ताजमहल सामने आ जाए, सांसें थम सी जाती हैं। ठीक वैसा ही अनुभव राजा रवि वर्मा की मूल कृतियों के सामने हुआ।"
शेखर कपूर ने यह भी बताया, "मुंबई के उच्च वर्ग में कला को निवेश और सुरक्षित संपत्ति के रूप में देखा जा रहा है। मुझसे बार-बार पूछा गया कि क्या मुझे कला संग्रहित करना पसंद है, तो मेरा जवाब है कि मैं कला का प्रशंसक और प्रेमी हूं। मेरा मानना है कि बेहतरीन कला किसी एक की नहीं, सबके दिल की होती है और स्वामित्व का अहंकार उसकी खूबसूरती को कम कर देता है।"