शिक्षक दिवस: क्या आमिर खान से अमिताभ तक, बॉलीवुड के सितारे टीचर के रोल में चमके?

सारांश
Key Takeaways
- शिक्षक
- शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं है।
- समाज में ज्ञान का योगदान करें।
- प्रेरणा के स्रोत बनें।
- कमजोरियों को ताकत में बदलें।
मुंबई, 4 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल कक्षा में पढ़ाने वाले गुरुओं के लिए नहीं है, बल्कि उन सभी व्यक्तियों के लिए है जो समाज में प्रेरणा का स्रोत बनते हैं, जो ज्ञान, दिशा और जीवन का मूल्य समझाते हैं। भारतीय सिनेमा ने भी कई बार ऐसे पात्रों को पर्दे पर जीवंत किया है, जिन्होंने शिक्षकों की महत्ता और उनकी भूमिका को प्रभावशाली तरीके से दर्शाया है। आइए जानते हैं उन बॉलीवुड सितारों के बारे में जिन्होंने टीचर्स का रोल निभाकर दर्शकों का दिल जीता।
आमिर खान: बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता आमिर खान ने फिल्म ‘तारे ज़मीन पर’ में कला शिक्षक राम शंकर निकुम्भप्रतिभा को पहचानकर उन्हें उड़ान भरने में मदद करते हैं।
ऋतिक रोशन: अभिनेता ऋतिक रोशन ने ‘सुपर 30’ में बिहार के प्रसिद्ध गणितज्ञ और शिक्षक आनंद कुमार का किरदार निभाया। यह फिल्म उस संघर्ष की कहानी है जिसमें एक शिक्षक गरीब बच्चों को आईआईटी की परीक्षा की तैयारी कराता है। ऋतिक ने इसमें एक दृढ़ शिक्षक का रोल निभाया है, जिससे यह प्रमाणित होता है कि शिक्षा बदलाव की सबसे बड़ी ताकत है।
रानी मुखर्जी: रानी मुखर्जी ने ‘हिचकी’ में नैना माथुर की भूमिका निभाई, जो टॉरेट सिंड्रोम से जूझती हैं। बाधाओं के बावजूद, वह एक आदर्श शिक्षिका साबित होती हैं। उनका किरदार हमें यह सिखाता है कि कमजोरियां भी ताकत बन सकती हैं। रानी को इस रोल के लिए व्यापक प्रशंसा मिली।
बोमन ईरानी: बॉलीवुड अभिनेता बोमन ईरानी ने फिल्म '3 इडियट्स' में कठोर प्रिंसिपल डॉ. वीरू सहस्त्रबुद्धे का किरदार निभाया। यह किरदार शिक्षा व्यवस्था की कठोर सच्चाई को उजागर करता है और बताता है कि शिक्षा केवल रटने तक सीमित नहीं होनी चाहिए। यह उनके सबसे बेहतरीन किरदारों में से एक है।
अमिताभ बच्चन: ‘ब्लैक’ फिल्म में अमिताभ बच्चन ने देबराज सहाय का किरदार निभाया। उन्होंने एक बहरी और अंधी लड़की मिशेल को शिक्षा दी और जीवन का अर्थ समझाया। उनका अभिनय शिक्षण की सबसे ऊंची परिभाषा को प्रस्तुत करता है।
शाहरुख खान: शाहरुख खान ने ‘चक दे! इंडिया’ में कोच कबीर खान का रोल निभाया। भले ही वह पारंपरिक शिक्षक नहीं थे, लेकिन उन्होंने भारतीय महिला हॉकी टीम को अनुशासन, मेहनत और आत्मविश्वास का पाठ पढ़ाया। यह किरदार यह दर्शाता है कि शिक्षक केवल कक्षा तक सीमित नहीं होते।