क्या प्रियांशु पेन्युली ने अपने करियर के शुरूआती सफर को याद किया? संघर्ष ने रखी आत्मविश्वास की नींव
सारांश
Key Takeaways
- संघर्ष के बिना सफलता असंभव है।
- धैर्य सबसे बड़ी ताकत है।
- हर अनुभव एक सीखने का अवसर है।
- खुद पर काम करना और आत्मविश्वास बढ़ाना जरूरी है।
- मुंबई ने उन्हें अनुशासन और मेहनत की सीख दी।
मुंबई, 26 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म उद्योग में सफलता कभी-कभी अचानक मिलती है, लेकिन इसके पीछे एक लंबी कहानी होती है जो संघर्ष, धैर्य और खुद को साबित करने के प्रयासों से भरी होती है। अभिनेता प्रियांशु पेन्युली की यात्रा भी कुछ ऐसी ही रही है। छोटे शहरों से निकलकर बड़े सपनों की ओर बढ़ना और हर अनुभव से सीखना उनके सफर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा।
राष्ट्र प्रेस से बातचीत में प्रियांशु ने अपने जीवन और करियर के सफर को विस्तार से साझा किया।
प्रियांशु ने कहा, "पिछले कुछ साल मेरे लिए आत्ममंथन और आत्मखोज का समय रहा है। इस दौरान मैंने खुद को गहराई से समझा, अपनी कमजोरियों को पहचाना और अपने भीतर छिपी संभावनाओं को खोजा। यह यात्रा न केवल पेशेवर बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण रही है। इसने मेरे व्यक्तित्व को निखारा और कला को एक नई दिशा प्रदान की।"
अपने शुरूआती सफर को याद करते हुए प्रियांशु पेन्युली ने कहा, "शिक्षा पूरी करने के बाद 2010 में मैंने बेंगलुरु से मुंबई आने का बड़ा निर्णय लिया। यह कदम मेरी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। मुंबई पहुंचकर मैंने अभिनय की दुनिया में कदम रखा, लेकिन यह मार्ग बिल्कुल सरल नहीं था। नए शहर में रहना, खुद को साबित करना और अवसरों की खोज करना, ये सब चीजें समय और धैर्य मांगती थीं।"
प्रियांशु ने कहा, "शुरुआती दिनों में मुझे कई बार रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। मैंने कई ऑडिशन दिए, लेकिन कभी लुक्स के नाम पर तो कभी अनुभव के आधार पर मुझे अस्वीकार कर दिया जाता था। लेकिन इन्हीं संघर्षों ने मुझे मजबूत बनाया और आत्मविश्वास की असली नींव रखी। यदि ये कठिनाइयाँ नहीं होतीं, तो शायद मैं आज इतना संतुलित कलाकार नहीं बन पाता।"
इंटरव्यू के दौरान प्रियांशु ने कहा, "करियर में आगे बढ़ने के लिए धैर्य ही सबसे बड़ी ताकत होती है। उद्योग में टिके रहना केवल टैलेंट से नहीं, बल्कि सही समय का इंतजार करने से भी संबंधित है। हर कलाकार को अपनी गति से आगे बढ़ने का अवसर मिलता है, और तुलना करने से बेहतर है खुद पर काम करते रहना।"
उन्होंने कहा, "मुंबई ने मुझे न केवल एक अभिनेता बल्कि एक जिम्मेदार इंसान बनने की भी सीख दी। इस शहर ने मुझे अनुशासन, मेहनत और लगातार अपनी क्षमताओं को बेहतर करने की प्रेरणा दी। मेरे लिए हर छोटा रोल और हर अनुभव सीखने का एक साधन रहा, जिसने मुझे धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनाया।"