क्या सुप्रीम कोर्ट ने दर्शन की रेणुका स्वामी हत्याकांड में जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा?

सारांश
Key Takeaways
- सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर विचार किया।
- कर्नाटक सरकार की याचिका पर निर्णय सुरक्षित रखा गया।
- दर्शन और अन्य आरोपियों का जमानत मुद्दा महत्वपूर्ण है।
- जमानत देने में न्यायिक शक्ति का दुरुपयोग हो सकता है।
- अगली सुनवाई में आरोपियों का आपराधिक इतिहास प्रस्तुत करने का आदेश।
चेन्नई, २४ जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेता दर्शन की रेणुका स्वामी हत्याकांड में जमानत से संबंधित मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के निर्णय पर गहन सवाल उठाए हैं। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की याचिका पर निर्णय सुरक्षित रखा, जिसमें दर्शन और अन्य आरोपियों की जमानत रद्द करने की मांग की गई है। अदालत यह निश्चित करेगी कि दर्शन की जमानत बनी रहेगी या रद्द की जाएगी।
जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कर्नाटक हाईकोर्ट के १३ दिसंबर २०२४ के आदेश पर नाराजगी व्यक्त की, जिसमें दर्शन, पवित्रा गौड़ा और अन्य को जमानत दी गई थी।
जस्टिस पारदीवाला ने कहा, “हाईकोर्ट ने जमानत देते समय ऐसा आदेश दिया, जैसे वह सजा या बरी करने का फैसला हो। यह न्यायिक शक्ति का दुरुपयोग है।”
उन्होंने दर्शन के वकील कपिल सिबल से सवाल किया, “क्या आपको नहीं लगता कि हाईकोर्ट ने बरी करने जैसा आदेश दिया? क्या हाईकोर्ट अन्य मामलों में भी ऐसा करता है?”
कोर्ट ने हाईकोर्ट के इस तर्क पर भी सवाल उठाया कि धारा ३०२ (हत्या) के मामले में गिरफ्तारी के आधार तुरंत नहीं बताए गए।
सुनवाई में कर्नाटक सरकार के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने बताया कि दर्शन ने जमानत पर रिहा होने के बाद एक गवाह के साथ सार्वजनिक मंच साझा किया, जो जांच को प्रभावित कर सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या आरोपियों का कोई आपराधिक इतिहास है और इसे अगली सुनवाई में पेश करने को कहा।
जब सरकार ने दिन-प्रतिदिन सुनवाई की बात कही, तो जस्टिस पारदीवाला ने सवाल किया, “जब अन्य कैदी सालों से जेल में हैं, तो इस मामले में जल्दी क्यों?” कोर्ट को बताया गया कि मुकदमा छह महीने में पूरा हो सकता है।
दर्शन, उनकी सहयोगी पवित्रा गौड़ा और १५ अन्य लोगों को ११ जून २०२४ को चित्रदुर्गा के एक प्रशंसक रेणुका स्वामी के अपहरण और हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। दर्शन अपनी आगामी फिल्म 'डेविल' की शूटिंग में व्यस्त हैं और अभी थाईलैंड में हैं। २८ फरवरी को कर्नाटक हाई कोर्ट ने उन्हें देशभर में यात्रा की अनुमति दी थी, जबकि पहले यह आदेश बेंगलुरु तक सीमित था।