क्या धर्मेंद्र ने बीकानेर का चुनावी माहौल बदल दिया, अपने प्रतिद्वंदी को 'छोटा भाई' कहा?
सारांश
Key Takeaways
- धर्मेंद्र का बीकानेर के साथ गहरा संबंध था।
- उन्होंने हमेशा विकास कार्यों के लिए मेहनत की।
- चुनाव में उनकी शालीनता ने एक अनूठा माहौल बनाया।
- बीकानेर के लोग उन्हें प्यार और समर्पण के लिए याद करते हैं।
- उनका जीवन एक प्रेरणा है जो सकारात्मकता का संदेश देता है।
जयपुर, 24 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र ने 89 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वह न केवल बॉलीवुड के सुपरस्टार के रूप में प्रसिद्ध थे, बल्कि राजनीति में भी उनकी छवि प्यार, विनम्रता और लोगों की सहायता के लिए मानी जाती रही। राजस्थान के बीकानेर ने सोमवार को एक ऐसे पूर्व सांसद को खो दिया, जो हमेशा लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते थे।
धर्मेंद्र का बीकानेर के साथ न केवल राजनीतिक बल्कि भावनात्मक संबंध भी था। सांसद रहते हुए उन्होंने कई ऐसे कार्य किए, जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण सूरसागर तालाब प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना था।
चुनाव अभियान के दौरान जब उन्होंने देखा कि तालाब की स्थिति वर्षों से खराब है, तो उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से संपर्क किया। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली
धर्मेंद्र का 2004 का चुनाव अभियान भी उनकी शालीनता के लिए जाना जाता है। कांग्रेस उम्मीदवार रामेश्वर डूडी के खिलाफ कड़े मुकाबले में भी धर्मेंद्र ने कभी व्यक्तिगत हमला नहीं किया। उन्होंने डूडी को बार-बार अपना छोटा भाई कहा, जिससे चुनाव के दौरान एक दोस्ताना माहौल बना। यह चुनाव बीकानेर में सबसे शालीन मुकाबलों में से एक माना गया।
चुनाव में धर्मेंद्र ने स्टार पावर का उपयोग करते हुए अपने बेटे सनी और बॉबी देओल को बीकानेर बुलाया। उनके आने से बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और शहर का माहौल बदल गया। इस समर्थन के साथ धर्मेंद्र ने 57,000 वोटों से जीत हासिल की।
सांसद रहते हुए धर्मेंद्र ने हमेशा डेवलपमेंट फंड के लिए खुले दिल से पैसे दिए। उन्होंने स्थानीय समाजों, संस्थाओं और सामुदायिक कार्यों के लिए लगातार वित्तीय सहायता प्रदान की। आज भी बीकानेर में कई बोर्ड हैं जिन पर उनका नाम अंकित है, जो उन परियोजनाओं की याद दिलाते हैं जो उनके कार्यकाल में पूरी हुईं। अधिकांश परियोजनाओं की सिफारिश उनके पार्टी सहयोगियों सत्यप्रकाश आचार्य और कमल व्यास ने की थी।
धर्मेंद्र के पार्टी में रिश्ते भी विशेष थे। वे चुनाव प्रभारी मानिकचंद सुराणा को प्यार से 'कोट पहनने वाले नेताजी' कहते थे। यह उपनाम मजाक में था, लेकिन यह उनके स्नेह और आत्मीयता को दर्शाता था।
धर्मेंद्र की लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि बीकानेर के लोग उन्हें विवादों या राजनीतिक गतिविधियों के लिए नहीं, बल्कि उनके प्यार, विकास कार्यों और सभी के प्रति अपनेपन के लिए याद रखते हैं।