क्या शादी की चाह थी, लेकिन अब अकेले जीने में सुकून है : दिव्या दत्ता

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क्या शादी की चाह थी, लेकिन अब अकेले जीने में सुकून है : दिव्या दत्ता

सारांश

दिव्या दत्ता ने शादी की चाह और अकेले जीने के सुकून के बीच का अनुभव साझा किया है। उन्होंने बताया कि टॉक्सिक रिश्ते में रहना कभी भी सुखद नहीं होता। जानिए उनकी जिंदगी के इस दिलचस्प मोड़ के बारे में।

Key Takeaways

  • टॉक्सिक रिश्ते से बेहतर अकेले रहना है।
  • एक समझदार साथी का होना आवश्यक है।
  • अभिनय में एक स्थिरता की आवश्यकता होती है।
  • अपनी खुशियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • दिव्या दत्ता का व्यक्तिगत अनुभव प्रेरणादायक है।

मुंबई, 9 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री दिव्या दत्ता अपनी बेहतरीन एक्टिंग के साथ-साथ अपनी बेबाकी के लिए भी चर्चा में रहती हैं। हाल ही में उन्होंने अपने जीवन के बारे में एक बड़ा खुलासा किया है। उनका कहना है कि किसी टॉक्सिक रिलेशन में रहने से बेहतर है कि इंसान अकेले रहकर अपनी खुशियों को खोजे।

राष्ट्र प्रेस से विशेष बातचीत में जब दिव्या से पूछा गया, "क्या आपने सोच-समझकर अकेले रहने का रास्ता चुना है, या यह सब जीवन की बदलती प्राथमिकताओं का नतीजा है?" तो उन्होंने कहा, "बिलकुल... यह सब धीरे-धीरे अपने आप ही हो गया।"

दिव्या ने आगे बताया, "मेरा ध्यान हमेशा शादी पर केंद्रित था। मैं यश चोपड़ा और करण जौहर की फिल्मों को देखकर बड़ी हुई हूं, जिनमें दिखाया जाता था कि लोग पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी करके सुखद जीवन बिताते हैं। लेकिन समय के साथ यह समझ आया कि इस तरह के करियर में एक ऐसे साथी की आवश्यकता होती है जो इस स्थिति को समझ सके।"

एक्ट्रेस ने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण पेशे में एक ऐसे साथी की बहुत आवश्यकता होती है, जो पेशे की जटिलताओं को समझता हो और आत्मविश्वास से भरा हो। साथ ही संवेदनशील और समझदार भी होना चाहिए। परंतु, कभी ऐसा साथी मिल जाता है और कभी नहीं भी।

हालांकि, दिव्या ने महसूस किया है कि अभिनय जैसे व्यस्त पेशे में एक ऐसे साथी की आवश्यकता होती है जो समझदारी और संवेदनशीलता से भरा हो। "इस पेशे की मांगों को समझने वाला साथी मिलना जरूरी है, जो स्वयं में आत्मविश्वास रखता हो। कभी-कभी ऐसा साथी मिलता है, कभी नहीं।"

दिव्या ने कहा, "मुझे लगता है कि एक टॉक्सिक रिश्ते में रहने से बेहतर है कि आप खुद के साथ शांति से एक खूबसूरत जिंदगी जिएं और अपने ध्यान को उन चीजों पर लगाएं जो आवश्यक हैं।"

अभिनेत्री ने कहा, "और हां, मुझे लगता है कि मेरी प्रभावशाली छवि के कारण लोग मुझसे संपर्क करने में झिझकते हैं, लेकिन धीरे-धीरे यह सामान्य हो जाता है। मैं अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जीती हूं, और यह बात लोगों को स्पष्ट रूप से नजर आती है।"

गौरतलब है कि हाल ही में दिव्या राजनीतिक ड्रामा वेब सीरीज 'मायासभा: द राइज ऑफ द टाइटन्स' में नजर आई हैं। यह सीरीज आंध्र प्रदेश की राजनीति पर आधारित है, जिसमें 1990 के दशक की अस्थिर राजनीति को दर्शाया गया है। इसमें नारा चंद्रबाबू नायडू और वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की दोस्ती से लेकर उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को खूबसूरती से उकेरा गया है। इसमें आदिवि शेष, चैतन्य राव, साय कुमार, श्रीकांत अय्यर और नासर जैसे कलाकारों की शानदार परफॉर्मेंस देखने को मिलती है। इसका निर्देशन देवा कट्टा और किरण जय कुमार ने मिलकर किया है। यह सीरीज 7 अगस्त से सोनी लिव पर स्ट्रीम हो रही है।

Point of View

खासकर जब हम खुद के साथ शांति से जीना चाहते हैं।
NationPress
09/08/2025

Frequently Asked Questions

दिव्या दत्ता ने अकेले रहने का फैसला क्यों लिया?
दिव्या का मानना है कि टॉक्सिक रिश्तों में रहना बेहतर नहीं है। उन्होंने अकेले रहकर अपनी खुशियों को खोजने का निर्णय लिया।
दिव्या की नई वेब सीरीज का नाम क्या है?
दिव्या की नई वेब सीरीज का नाम 'मायासभा: द राइज ऑफ द टाइटन्स' है।
इस सीरीज का विषय क्या है?
यह सीरीज आंध्र प्रदेश की राजनीति पर आधारित है और 1990 के दशक की अस्थिरता को दर्शाती है।