क्या 28 साल पहले गुलशन कुमार की हत्या की साजिश रची गई थी? पूर्व आईपीएस अधिकारी ने किया अहम खुलासा

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क्या 28 साल पहले गुलशन कुमार की हत्या की साजिश रची गई थी? पूर्व आईपीएस अधिकारी ने किया अहम खुलासा

सारांश

गुलशन कुमार की हत्या के 28 साल बाद, पूर्व आईपीएस पी.के. जैन ने इस सनसनीखेज हत्याकांड के कई अनकहे पहलुओं पर रोशनी डाली है। जानिए क्या थे वो कारण जो इस हत्या के पीछे थे और कैसे यह मामला आज भी अनसुलझा है।

Key Takeaways

  • गुलशन कुमार की हत्या ने भारतीय संगीत उद्योग को झकझोर दिया।
  • पूर्व आईपीएस अधिकारी पी.के. जैन ने कई महत्वपूर्ण खुलासे किए।
  • गुलशन कुमार को धमकियाँ मिल रही थीं, लेकिन उन्होंने गंभीरता से नहीं लिया।
  • हत्या के पीछे के कारणों में नदीम सैफी और दाऊद इब्राहिम शामिल थे।
  • कुछ आरोपी पकड़े गए हैं, लेकिन असली दोषी अब भी फरार हैं।

मुंबई, 12 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। आज से ठीक 28 साल पहले, 12 अगस्त 1997 को भारतीय संगीत जगत एक ऐसे हादसे से दहल गया था, जिसका असर आज भी महसूस किया जाता है। टी-सीरीज के संस्थापक और मशहूर म्यूजिक प्रोड्यूसर गुलशन कुमार की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस चौंकाने वाली घटना पर पूर्व आईपीएस अधिकारी पी.के. जैन ने अपने अनुभव साझा किए हैं और कई महत्वपूर्ण रहस्यों का खुलासा किया है।

पी.के. जैन ने बताया कि गुलशन कुमार को अपने करियर में कई बार धमकी भरे कॉल्स आए थे। हत्या के पहले भी उन्हें चेतावनी दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। मुंबई पुलिस ने उन्हें सुरक्षा देने के लिए गनमैन भी प्रदान किया था, लेकिन दुर्भाग्यवश, हत्या के दिन गनमैन उनके साथ नहीं था। इसी का फायदा उठाते हुए दो हमलावरों ने मंदिर के बाहर उन पर गोलियां चलाईं।

उन्होंने आगे कहा, "दोनो आरोपी पिछले एक महीने से गुलशन कुमार की रेकी कर रहे थे। जिस दिन उन्होंने हमला किया, उस समय गुलशन कुमार के साथ कोई नहीं था।"

पूर्व अधिकारी ने बताया कि उस समय के पुलिस के सामने दो प्रमुख एंगल थे। पहला, संगीतकार नदीम सैफी और गुलशन कुमार के बीच का तनाव। कहा गया कि टी-सीरीज ने नदीम को नजरअंदाज किया, जिससे नाराज होकर उन्होंने हत्या की साजिश रची। आरोप यह भी था कि नदीम ने इसके लिए डी गैंग को पैसे दिए थे। दूसरा एंगल दाउद इब्राहिम से जुड़ा था। गुलशन कुमार से हर महीने रंगदारी मांगी जा रही थी, लेकिन उन्होंने इससे साफ इनकार कर दिया था।

उन्होंने बताया कि हत्या के बाद नदीम सैफी लंदन भाग गए थे। भारत सरकार ने उन्हें वापस लाने की कोशिश की, लेकिन यूके कोर्ट ने उन्हें भारत प्रत्यर्पित करने से मना कर दिया। नदीम ने कोर्ट में कहा कि, "मुंबई पुलिस मुझे फंसाने की कोशिश कर रही है, इसलिए मुझे भारत नहीं भेजा जाना चाहिए।" हालांकि कुछ आरोपियों को सजा मिली और उन्होंने जुर्म भी कबूल किया, लेकिन इस हत्याकांड के असली आरोपी अब भी कानून की गिरफ्त से बाहर हैं।

जानकारी के अनुसार, 12 अगस्त 1997 को जीतेश्वर महादेव मंदिर के बाहर गुलशन कुमार पर ताबड़तोड़ 16 गोलियां चलाई गई थीं, जिससे उनकी मौत हो गई।

Point of View

बल्कि यह एक बड़ा सवाल भी खड़ा करता है कि क्या हमारी सुरक्षा प्रणाली इतनी कमजोर है कि एक सफल व्यक्ति को भी दिनदहाड़े मारा जा सकता है। इस मामले में अभी भी कई कड़ियाँ जुड़ी हुई हैं जो हमें सच्चाई की ओर ले जा सकती हैं।
NationPress
18/08/2025

Frequently Asked Questions

गुलशन कुमार की हत्या कब हुई थी?
गुलशन कुमार की हत्या 12 अगस्त 1997 को हुई थी।
क्या गुलशन कुमार को धमकियाँ मिल रही थीं?
हाँ, गुलशन कुमार को हत्या से पहले कई बार धमकी भरे कॉल्स आए थे।
क्या नदीम सैफी का इस हत्या से कोई संबंध था?
हां, कहा जाता है कि नदीम सैफी और गुलशन कुमार के बीच व्यावसायिक तनाव था, जिससे हत्या की साजिश रची गई।
क्या हत्या के आरोपी पकड़े गए हैं?
कुछ आरोपियों को सजा मिली है, लेकिन इस हत्याकांड के असली आरोपी अभी भी बाहर हैं।
गुलशन कुमार की हत्या के बाद क्या हुआ?
हत्या के बाद नदीम सैफी लंदन भाग गए थे और भारत सरकार ने उन्हें वापस लाने की कोशिश की।