क्या उम्र बढ़ना अभिनेत्रियों के लिए एक समृद्ध अनुभव है?

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क्या उम्र बढ़ना अभिनेत्रियों के लिए एक समृद्ध अनुभव है?

सारांश

ईशा कोप्पिकर का मानना है कि उम्र बढ़ने से अभिनेत्रियों को समृद्ध अनुभव मिलता है। वे अपने जीवन के अनुभवों को अपनी ताकत बनाकर अभिनय को निखार सकती हैं। इस लेख में जानें कैसे सही उम्र के किरदारों को फिल्मों में दिखाना अनिवार्य है।

Key Takeaways

  • उम्र को एक संपत्ति के रूप में देखना चाहिए।
  • हर उम्र के किरदारों को फिल्मों में प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए।
  • अभिनेत्रियों के लिए जीवन के अनुभव को उनकी ताकत बनाना महत्वपूर्ण है।
  • फिल्मों में वास्तविकता और प्रासंगिकता को दर्शाना आवश्यक है।
  • अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर का मानना है कि यह एक सकारात्मक बदलाव है।

मुंबई, 4 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर का मानना है कि उम्र बढ़ना अभिनेत्रियों के लिए एक समृद्ध अनुभव है। उनके अनुसार, जीवन के अनुभवों से मिली समझ को अभिनेत्री अपनी ताकत बना सकती हैं, जो उनकी अभिनय कला को और निखारता है।

ईशा ने 2019 में रिलीज हुई फिल्म 'सांड की आंख' का उदाहरण देते हुए कहा, "इस फिल्म में युवा अभिनेत्रियों को बुजुर्ग किरदारों में दिखाया गया। नीना गुप्ता ने भी सवाल उठाया था कि 50-60 साल की महिलाओं के किरदार के लिए 30 साल की अभिनेत्रियों को क्यों चुना जाता है? ऐसे में उन अभिनेत्रियों को मौका क्यों नहीं मिलता, जो अपनी प्रतिभा साबित कर चुकी हैं?"

उन्होंने आगे कहा, "उम्र के साथ भावनात्मक समझ गहरी होती है, और यही गहराई किसी किरदार को खास बना सकती है।"

ईशा का मानना है कि फिल्मों में हर उम्र के किरदारों को जगह देना जरूरी है ताकि दर्शकों को वास्तविक और प्रासंगिक कहानियां देखने को मिलें।

अभिनेत्री ने कहा, "जब हम फिल्मों में अलग-अलग सोच और अनुभवों को दिखाते हैं, खासकर उम्रदराज किरदारों को शामिल करते हैं, तो दर्शकों को ज्यादा जुड़ने वाली कहानियां देखने को मिलती हैं।"

हालांकि, अभिनेत्री ईशा कोप्पिकर को उम्मीद है कि फिल्म इंडस्ट्री अब सही दिशा में आगे बढ़ रही है।

अभिनेत्री का कहना है कि पिछले कुछ सालों में ऐसी कई फिल्में बनी हैं जिनमें ज्यादा उम्र की महिलाओं को मुख्य किरदार में दिखाया गया है। साथ ही, रिप्रेजेंटेशन यानी हर उम्र, वर्ग और अनुभव के लोगों को जगह देने को लेकर बातचीत भी बढ़ी है।

ईशा का मानना है कि यह एक सकारात्मक बदलाव है, जहां जवानों और समझदार, अनुभवी लोगों दोनों की कहानियों को बराबरी से दिखाया जा रहा है।

ईशा कहती हैं, "उम्र को किसी सीमा के तौर पर नहीं, बल्कि एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में देखा जाना चाहिए। फिल्मों में ऐसी कहानियां होनी चाहिए जो सच्ची लगें, और जिनमें हर उम्र के कलाकारों को अपनी कला दिखाने का मौका मिले।

Point of View

बल्कि एक अनुभव है जो फिल्मों में गहराई लाने में मदद करता है। ईशा कोप्पिकर का यह दृष्टिकोण फिल्म उद्योग की दिशा को भी दर्शाता है, जहां उम्रदराज महिलाओं की भूमिका को समझा जा रहा है। यह सकारात्मक बदलाव दर्शकों के लिए भी वास्तविकता को उजागर करता है।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

क्या उम्र बढ़ने से अभिनेत्रियों की अभिनय क्षमता प्रभावित होती है?
नहीं, उम्र बढ़ने से अभिनेत्रियों की अभिनय क्षमता में सुधार होता है क्योंकि वे जीवन के अनुभवों से अधिक गहराई और समझ प्राप्त करती हैं।
क्या फिल्म इंडस्ट्री में उम्रदराज अभिनेत्रियों को जगह मिल रही है?
हाँ, हाल के वर्षों में ऐसी कई फिल्में बनी हैं जिनमें उम्रदराज अभिनेत्रियों को प्रमुख भूमिकाओं में दिखाया गया है।