क्या अमेरिका और यूरोपीय संघ के आरोप भारत पर तेल आयात को लेकर सही हैं?

सारांश
Key Takeaways
- भारत ने यूक्रेन संकट के कारण रूस से तेल आयात बढ़ाया।
- विदेश मंत्रालय ने अपने निर्णय का बचाव किया।
- अमेरिका और ईयू की आलोचना का भारत ने उत्तर दिया।
- भारत अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाता रहेगा।
- दुनिया के अन्य देशों के साथ भी रूस का व्यापार बढ़ रहा है।
नई दिल्ली, 5 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा रूस से तेल आयात को लेकर की जा रही आलोचना का सख्त जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोमवार को एक बयान में कहा कि भारत ने यूक्रेन संकट के दौरान रूस से तेल आयात करना शुरू किया, क्योंकि इस समय पारंपरिक तेल आपूर्ति यूरोप की दिशा में मोड़ दी गई थी।
जायसवाल ने बताया कि यह निर्णय वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिति के कारण लिया गया ताकि भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ती और स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
प्रवक्ता ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के बाद पारंपरिक आपूर्तियां यूरोप की ओर मोड़ दी गईं, जिसके कारण भारत को रूस से आयात बढ़ाना पड़ा। इसके अलावा, उस समय अमेरिका ने स्वयं भारत को रूस से तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनी रहे।
बयान में कहा गया कि भारत के लिए यह कदम राष्ट्रीय आवश्यकता थी, लेकिन जो देश आज भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे भी रूस के साथ व्यापार कर रहे हैं, वह भी बिना किसी मजबूरी के।
विदेश मंत्रालय ने आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि 2024 में यूरोपीय संघ और रूस के बीच वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब यूरो था। इसके अलावा, 2023 में सेवाओं में भी दोनों के बीच 17.2 अरब यूरो का व्यापार हुआ। यह व्यापार भारत-रूस व्यापार से कहीं अधिक है।
2024 में यूरोप ने रूस से रिकॉर्ड 16.5 मिलियन टन एलएनजी (एलएनजी) का आयात किया, जो 2022 के पिछले रिकॉर्ड 15.21 मिलियन टन से भी अधिक है। रूस और यूरोप के बीच केवल ऊर्जा ही नहीं, बल्कि उर्वरक, खनिज, रसायन, लोहे और इस्पात, मशीनरी और परिवहन उपकरणों का भी बड़ा व्यापार होता है।
जहां तक अमेरिका की बात है, वह आज भी रूस से यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (परमाणु उद्योग के लिए), पैलेडियम (ईवी उद्योग के लिए), उर्वरक और रसायन का आयात कर रहा है।
इन तथ्यों के आधार पर भारत ने कहा कि भारत को निशाना बनाना बिल्कुल अनुचित और दोहरे मापदंड का उदाहरण है। भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाता रहेगा।
विदेश मंत्रालय के बयान के बाद कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, "हमें अपने राष्ट्रीय हित में कार्य करना चाहिए, न कि आवेगशील राष्ट्राध्यक्षों के चिड़चिड़ाहट भरे आग्रहों से प्रभावित होना चाहिए।"