क्या लुक्स के आधार पर कलाकारों का आकलन करना सही है? विवान भटेना का विचार
सारांश
Key Takeaways
- कलाकारों की पहचान उनके टैलेंट पर होनी चाहिए, न कि लुक पर।
- अच्छा दिखना कभी-कभी अभिनय की क्षमता को छिपा देता है।
- इंडस्ट्री में धारणाएं बन गई हैं जो कलाकारों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं।
- अभिनेताओं को नई भूमिकाएं अपनाने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।
- विवान भटेना का संघर्ष प्रेरणादायक है।
मुंबई, 16 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर कलाकारों को उनकी प्रतिभा के बजाय उनके लुक के आधार पर परखा जाता है। कई बार खूबसूरत चेहरा और आकर्षक लुक के कारण लोग कलाकारों की असली क्षमता को पहचान नहीं पाते। इस पर अभिनेता विवान भटेना ने राष्ट्र प्रेस को दिए इंटरव्यू में अपने विचार व्यक्त किए।
उन्होंने बताया कि केवल अच्छा दिखना कभी-कभी अभिनय की असली क्षमता को छिपा देता है और कलाकार को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
विवान ने राष्ट्र प्रेस से बातचीत के दौरान कहा कि अच्छे दिखने के कारण कई बार निर्देशक और सहायक स्टाफ केवल मॉडल के रूप में ही देखते हैं और उनके अभिनय पर विश्वास करना कठिन होता है।
उन्होंने कहा, "यह मेरे लिए एक तरह की लंबी लड़ाई है। हाल ही में मैंने दो फिल्मों के लिए ऑडिशन दिया, जो बिल्कुल सही रहा, लेकिन निर्देशक को यह भरोसा दिलाना मुश्किल था कि मैं उस किरदार को निभा सकता हूं। मैं इसे अपनी असफलता मानता हूं, क्योंकि मेरे लिए यह दिखाना जरूरी था कि मेरा टैलेंट केवल दिखावे तक सीमित नहीं है।"
विवान ने 'सूर्यवंशी' की शूटिंग का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा, "रोहित शेट्टी की इस फिल्म में काम करते समय सहायक निर्देशक ने मुझे यह कहते हुए हैरानी जताई कि उन्हें लगा था कि मैं सिर्फ एक मॉडल हूं और अक्षय कुमार के साथ खड़े होने के लिए ही सेट पर हूं। इससे स्पष्ट है कि इंडस्ट्री में पहले से बनी धारणाएं कलाकारों के लिए कितनी चुनौतीपूर्ण होती हैं। यह हर बार मेरे लिए एक नई लड़ाई की तरह होती है कि लोग मेरे अभिनय की क्षमता को समझें और कलाकारों को सिर्फ लुक के आधार पर आंकने की आदत को छोड़ दें।"
विवान ने बताया कि इंडस्ट्री में यह समस्या सामान्य है। उन्होंने कहा, "लोग और निर्देशक अक्सर कलाकारों को कुछ खास तरह की भूमिकाओं तक ही सीमित कर देते हैं। इसके पीछे इंडस्ट्री की व्यस्तता और दबाव का बड़ा हाथ है। निर्देशक और निर्माता अपने काम और प्रोजेक्ट्स की चुनौतियों में इतने उलझे रहते हैं कि उनके पास कलाकार को अपने किरदार में ढालने और उसे पूरी तरह समझने का समय नहीं होता। इस कारण, कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने और अलग-अलग तरह की भूमिकाओं को अपनाने के लिए खुद ही मेहनत करनी पड़ती है।"
विवान इस चुनौती का सामना करने के लिए लगातार अपने आप को नए किरदारों और अलग-अलग लुक में प्रस्तुत करते रहते हैं। उन्होंने कहा, "मैं अलग-अलग तरह के रोल करने की कोशिश करता हूं, ताकि लोग मुझे सिर्फ एक शैली के कलाकार के रूप में न देखें। '120 बहादुर' फिल्म में मैंने हरियाणवी जाट का किरदार निभाया, जबकि 'गुलाबी' में मैं राजस्थान का डाकू बना। मैंने 'मारिया आईपीएस' में नेगेटिव किरदार निभाया। अलग-अलग किरदारों और लुक्स में काम करने से न सिर्फ मेरी अभिनय क्षमता दिखती है, बल्कि लोग मुझे हर बार नई तरह की पहचान देते हैं।"