क्या काशी उनकी आत्मा में बसी थी? पंडित छन्नूलाल मिश्र का जाना संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति!

सारांश
Key Takeaways
- पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
- उनकी बेटी नम्रता मिश्रा ने उनकी काशी के प्रति प्रेम को साझा किया।
- उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया।
- उनकी आवाज अब रिकॉर्ड और सोशल मीडिया पर हमारे बीच रहेगी।
- संगीत प्रेमियों के लिए उनका योगदान हमेशा याद रहेगा।
वाराणसी, 2 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन गुरुवार को हो गया। उनकी बेटी नम्रता मिश्रा ने बताया कि अंतिम संस्कार वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा।
छन्नूलाल मिश्र को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके पैतृक गांव में लोगों की भीड़ जुट गई। नम्रता ने मीडिया से कहा कि काशी उनकी आत्मा में बसी हुई थी, और उनका जाना संगीत जगत के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।
नम्रता ने कहा, "मैं माँ विंध्यवासिनी से प्रार्थना करती हूँ कि मेरे पिता को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। उनका आशीर्वाद हम पर बना रहे। मेरे पिता सभी से प्रेम करते थे। काशी उनकी आत्मा में बसती थी। मेरे बड़े भाई दिल्ली से आ रहे हैं। उनके पहुंचते ही हम मणिकर्णिका घाट पर पिताजी का अंतिम संस्कार करेंगे।"
उन्होंने कहा, "पूरे शासन-प्रशासन का बहुत सहयोग मिला। डॉक्टर्स की पूरी टीम लगी थी। सबने प्रयास किया, लेकिन पिता को बचा नहीं पाए। उनका जाना संगीत जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। यह हर कलाकार, हर संगीत प्रेमी महसूस कर सकता है। अब पिताजी की आवाज रिकॉर्ड और सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे बीच रहेगी।"
ज्ञात हो कि छन्नूलाल मिश्र को तीन सप्ताह पहले हार्ट अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें बीएचयू के इमरजेंसी विभाग में भर्ती किया गया। जांच के दौरान उनके सीने में इंफेक्शन और शरीर में खून की कमी पाई गई। कुछ दिनों बाद वह ठीक हुए, लेकिन बाद में फिर से उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें मिर्जापुर के रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टर्स उनकी जान नहीं बचा सके। गुरुवार सुबह उनका निधन हो गया।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ा था, तब छन्नूलाल मिश्र उनके प्रस्तावक बने थे। उन्हें 2010 में पद्म भूषण और 2020 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।