क्या राजकुमार राव ने हिंदी-मराठी विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ी?

सारांश
Key Takeaways
- राजकुमार राव ने हिंदी-मराठी विवाद पर अपनी राय रखी।
- हर अभिनेता का हर मुद्दे पर बोलना जरूरी नहीं।
- सोशल मीडिया पर चुप्पी का मतलब यह नहीं कि उन्हें मुद्दे की परवाह नहीं।
- व्यक्तिगत अनुभव साझा करने की आवश्यकता नहीं होती।
- समाज में सामाजिक मुद्दों पर चर्चा की जानी चाहिए।
मुंबई, 6 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। अभिनेता राजकुमार राव ने महाराष्ट्र में चल रहे हिंदी-मराठी भाषा विवाद पर अपने विचार व्यक्त किए और इस मुद्दे पर हिंदी फिल्म अभिनेताओं की चुप्पी के बारे में खुलकर चर्चा की। 'स्त्री' और 'श्रीकांत' जैसी सफल फिल्मों में अपनी भूमिका निभा चुके राजकुमार ने कहा कि हर अभिनेता के लिए हर मुद्दे पर बोलना अनिवार्य नहीं है और सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट न करने का अर्थ यह नहीं है कि उन्हें उस मुद्दे की चिंता नहीं है।
राजकुमार ने बताया कि अभिनेता संवेदनशील होते हैं और सामाजिक मुद्दों से प्रभावित होते हैं, लेकिन हर चीज को सोशल मीडिया पर साझा करना आवश्यक नहीं है।
समाचार एजेंसी राष्ट्र प्रेस से बातचीत में उन्होंने कहा, "अगर आपको किसी विषय से गहरा संबंध है, तो आपको अवश्य बोलना चाहिए। लेकिन, हर मुद्दे पर बात करना जरूरी नहीं है। सोशल मीडिया पर कुछ न लिखने का मतलब यह नहीं कि आपको इसकी परवाह नहीं है।"
उन्होंने सवाल उठाया कि सोशल मीडिया कब से यह तय करने लगा कि कोई व्यक्ति संवेदनशील है या नहीं। राजकुमार ने कहा, "क्या जो लोग सोशल मीडिया पर नहीं हैं, वे दुखी नहीं होते? क्या उन्हें अच्छे अनुभवों पर खुशी नहीं मिलती? क्या दुख-सुख व्यक्त करने का एकमात्र माध्यम सोशल मीडिया है?"
उन्होंने एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि एक विमान दुर्घटना की खबर सुनकर वह रो पड़े थे, लेकिन इसे सोशल मीडिया पर साझा करना आवश्यक नहीं समझा। "क्या इसे सोशल मीडिया पर डालना जरूरी है? यह एक निजी भावना है। मेरा मानना है कि सोशल मीडिया पर सब कुछ साझा करने से उसकी संवेदनशीलता कम हो सकती है।"
हाल ही में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के नेता राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मराठी माध्यम और सरकारी स्कूलों में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने का विरोध किया था। हालांकि, बाद में महाराष्ट्र सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया था।