क्या ऊषा उत्थुप ने भारी आवाज से दमदार पहचान बनाई? जानें नाइट क्लब से सुपरस्टार बनने तक की कहानी

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क्या ऊषा उत्थुप ने भारी आवाज से दमदार पहचान बनाई? जानें नाइट क्लब से सुपरस्टार बनने तक की कहानी

सारांश

ऊषा उत्थुप की अनोखी यात्रा नाइट क्लब से लेकर बॉलीवुड की पॉप सिंगिंग क्वीन बनने तक की है। उनकी गहरी आवाज और अद्वितीय स्टाइल ने उन्हें एक सुपरस्टार बना दिया। इस लेख में उनकी जीवन की प्रेरणादायक कहानी जानें।

Key Takeaways

  • ऊषा उत्थुप का करियर नाइट क्लब से शुरू हुआ था।
  • उनकी गहरी आवाज ने उन्हें पहचान दिलाई।
  • उन्होंने कई दिग्गज संगीतकारों के साथ काम किया।
  • ऊषा केवल एक गायक नहीं, बल्कि एक स्टाइल आइकॉन भी हैं।
  • उनकी प्रेरणादायक कहानी संघर्ष और मेहनत का प्रतीक है।

मुंबई, 7 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। बॉलीवुड संगीत की दुनिया में जब भी शानदार आवाज और स्टाइल का जिक्र होता है, सबसे पहले ऊषा उत्थुप का नाम आता है। उनके गाने सुनकर लोग झूमने पर मजबूर हो जाते हैं। ऊषा अपनी गहरी आवाज के साथ कांजीवरम साड़ी, बड़ी गोल बिंदी और बालों में फूलों के गजरे के लिए जानी जाती हैं।

कांजीवरम साड़ी, बड़ी गोल बिंदी और फूलों का गजरा पहनने वाली ऊषा का करियर बेहद शानदार रहा है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने सफलता के लिए कितनी कठिनाइयों का सामना किया। शुरुआत में वह नाइट क्लब में गाना गाती थीं, जहां उन्हें केवल 750 रुपए मिलते थे।

ऊषा उत्थुप का जन्म 8 नवंबर 1947 को मुंबई के एक तमिल परिवार में हुआ था। उनके पिता, वैधनाथ सोमेश्वर सामी, पुलिस विभाग में कार्यरत थे, जिसके चलते उनका परिवार काफी अनुशासित था। उनका संगीत के प्रति लगाव बचपन से ही था। घर में रेडियो पर बड़े गुलाम अली खान जैसे कलाकारों के गाने सुनना उनकी आदत बन गई थी। उनकी संगीत में रुचि इतनी गहरी थी कि केवल नौ साल की उम्र में उन्होंने अपना पहला स्टेज शो प्रस्तुत किया।

ऊषा ने कभी भी संगीत की ट्रेनिंग नहीं ली। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि बचपन में म्यूजिक टीचर ने उनकी गहरी आवाज के कारण उन्हें क्लास से निकाल दिया था, लेकिन यही आवाज उनके करियर की सबसे बड़ी ताकत बन गई।

20 साल की उम्र में उन्होंने नाइट क्लबों में गाना शुरू किया। शुरुआती दिनों में उन्हें केवल 750 रुपए मिले। बाद में यह बढ़कर 1500 रुपए महीने हो गए, उस समय में इतनी राशि महिला गायक के लिए बेहतर मानी जाती थी।

उनकी मेहनत और अनोखी शैली ने उन्हें जल्दी ही इंडस्ट्री में पहचान दिलाई। देव आनंद ने उन्हें 'बॉम्बे टॉकीज' में गाने का अवसर दिया, जहां उन्होंने शंकर-जयकिशन के साथ इंग्लिश गाना गाया। इसके बाद उन्हें लगातार फिल्मों में गाने के ऑफर मिलने लगे। ऊषा उत्थुप ने आरडी बर्मन, बप्पी लहरी और एआर रहमान जैसे दिग्गज संगीतकारों के साथ काम किया और 'दम मारो दम', 'वन टू चा चा चा', 'हरे राम हरे कृष्ण', 'महबूबा' जैसे गानों में अपनी आवाज दी। उनके गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं और कई बार रेडियो और पार्टियों में गूंजते हैं।

ऊषा उत्थुप केवल एक गायक नहीं, बल्कि एक स्टाइल आइकॉन भी रही हैं। उनकी पॉप सिंगिंग, इंडियन क्लासिकल का मिश्रण, और शानदार व्यक्तित्व ने उन्हें भारत की पॉप सिंगिंग क्वीन बना दिया। उन्होंने 'भारत की शान: सिंगिंग स्टार सीजन 2' जैसे रियलिटी शो में जज के रूप में भी कार्य किया।

Point of View

बल्कि यह हमें यह भी सिखाती है कि संघर्ष और मेहनत से किसी भी लक्ष्य को पाया जा सकता है। उनका जीवन हमें प्रेरित करता है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।
NationPress
07/11/2025

Frequently Asked Questions

ऊषा उत्थुप का जन्म कब हुआ?
ऊषा उत्थुप का जन्म 8 नवंबर 1947 को मुंबई में हुआ था।
ऊषा उत्थुप ने अपने करियर की शुरुआत कैसे की?
उन्होंने अपने करियर की शुरुआत नाइट क्लब में गाना गाकर की थी।
ऊषा उत्थुप को कौन से प्रसिद्ध गाने गाने का मौका मिला?
ऊषा को 'दम मारो दम', 'महबूबा', और 'हरे राम हरे कृष्ण' जैसे गाने गाने का मौका मिला।
क्या ऊषा उत्थुप ने संगीत में कोई औपचारिक शिक्षा ली?
नहीं, ऊषा उत्थुप ने कभी भी संगीत की औपचारिक शिक्षा नहीं ली।
ऊषा उत्थुप का स्टाइल क्या है?
ऊषा उत्थुप अपनी कांजीवरम साड़ी, बड़ी गोल बिंदी और बालों में फूलों के गजरे के लिए जानी जाती हैं।