क्या रीढ़ की हड्डी का ध्यान रखना ज़रूरी है? योगासन से कैसे करें मजबूती?

सारांश
Key Takeaways
- रीढ़ की हड्डी शरीर का आधार है।
- योग से इसे मजबूत किया जा सकता है।
- अच्छा आहार महत्वपूर्ण है।
- आयुर्वेदिक उपचार फायदेमंद होते हैं।
- प्रतिदिन व्यायाम करें।
नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। रीढ़ की हड्डी को शरीर का आधार माना जाता है, क्योंकि यह शरीर की ऊर्जा का केंद्र है और हर क्रिया में सहायता करती है। लेकिन आजकल की जीवनशैली में घंटों कम्प्यूटर पर बैठना या लंबे समय तक खड़े रहना हमारी रीढ़ पर बुरा असर डालता है। अगर रीढ़ की हड्डी में कोई समस्या होती है, तो शरीर सही तरीके से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे में रीढ़ को लचीला और स्वस्थ रखने के लिए योग और अच्छी डाइट का सहारा लिया जा सकता है।
आयुर्वेद में रीढ़ की हड्डी को मेरुदंड कहा जाता है। यह गर्दन से लेकर कुल्हों तक फैली होती है। इसकी लंबाई लगभग ४५ सेंटीमीटर है और यह ३३ छोटी-छोटी अस्थियों से बनी है। इसका मुख्य कार्य शरीर को गति और सहारा देना, दिमाग और शरीर के बीच संचार का माध्यम बनना है। अगर मेरुदंड में कोई समस्या होती है, तो गठिया, लकवा, स्पोंडिलोसिस, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क, मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
ऐसे में कुछ योग आसन और आयुर्वेदिक उपायकपालभाति, प्राणायाम, बालासन, सिंहासन, मार्जरी आसन, ताड़ासन, और नौकासन शामिल हैं। ये आसन रीढ़ की हड्डी की नसों में रक्त संचार को बढ़ाते हैं, जिससे यह लचीला बनता है और शरीर अपनी सभी क्रियाएं ठीक से कर पाता है।
इसके अलावा, आयुर्वेद में मेरुदंड वस्ति जैसे उपचार हैं, जिनमें हर्बल तेलों की मदद से मालिश करके मेरुदंड को मजबूत किया जाता है। मालिश से मांसपेशियों की जकड़न कम होती है और रक्त का संचार बढ़ता है। अच्छे आहार के जरिए भी रीढ़ की हड्डी की सेहत का ध्यान रखा जा सकता है। इसके लिए प्रोटीन और कैल्शियम से भरपूर खाना खाएं और फाइबर युक्त फलों का सेवन करें। सूखे मेवे, रसदार फल और मोटे अनाज भी शामिल करें। साथ ही, ओमेगा फैटी एसिड की अच्छी खुराक लेते रहें। इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत बनती है और शरीर में कैल्शियम का अवशोषण बेहतर होता है।