क्या ये योगासन दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी से राहत दिला सकते हैं?

सारांश
Key Takeaways
- योगासन दांतों की समस्याओं में सुधार लाते हैं।
- प्राणायाम से मसूड़ों की सूजन कम होती है।
- शीतकारी प्राणायाम दांतों की सड़न को कम करता है।
- वात नाशक मुद्रा शरीर में विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालती है।
- सर्वांगासन दांतों की बैक्टीरिया वृद्धि को रोकता है।
नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। दांतों की सेहत हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। दांतों से जुड़ी समस्याएं जैसे मसूड़ों में सूजन, दांतों का सड़ना, पायरिया आदि न केवल असुविधाजनक होते हैं, बल्कि ये संक्रमण फैलाने का कारण भी बन सकते हैं। आयुष मंत्रालय के अनुसार, दांतों और मसूड़ों की देखभाल के लिए योगासन और प्राणायाम अत्यंत प्रभावी होते हैं। योगाभ्यास से दांतों की समस्याओं में आराम मिलता है और यह मौखिक स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायता करता है। विशेष रूप से शीतकारी, शीतली, वात नाशक मुद्रा, सर्वांगासन और अपान मुद्रा जैसे योगासन दांतों की देखभाल के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं।
शीतकारी प्राणायाम एक ऐसा अभ्यास है जो दांतों की सड़न को कम करने में सहायक होता है। जब हम शीतकारी प्राणायाम करते हैं, तो यह मुंह के अंदर की गर्मी को कम करता है और मसूड़ों की सूजन को घटाता है। इस प्राणायाम में आरामदायक स्थिति में बैठकर, होंठों को खोलकर सांस अंदर लेते हुए 'सी-सी' की आवाज निकालनी होती है और धीरे-धीरे नाक से सांस छोड़नी होती है। इसे 10 से 12 बार दोहराना चाहिए। इससे मुंह के अंदर ठंडी हवा जाती है, जिससे मसूड़े मजबूत होते हैं और दांतों की सेहत में सुधार होता है। नियमित अभ्यास से दांतों की सड़न की समस्या काफी हद तक कम हो जाती है।
दांतों से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए वात नाशक मुद्रा भी अत्यधिक लाभकारी है। यह मुद्रा शरीर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे दांतों और मसूड़ों की सेहत में सुधार होता है। वात नाशक मुद्रा करने के लिए तर्जनी और बीच की उंगली को मोड़कर हथेली से मिला लेना होता है और अंगूठे को बाकी उंगलियों के ऊपर हल्के से रखना होता है। इस मुद्रा में आराम से बैठकर 10 से 15 मिनट तक बने रहना चाहिए। इस दौरान शरीर की थकान भी कम होती है और दांतों की समस्याओं में राहत मिलती है। यह मुद्रा दांतों के चारों ओर रक्त प्रवाह को बेहतर बनाकर उनकी मजबूती बढ़ाती है।
शीतली प्राणायाम दांतों के लिए एक ठंडक देने वाला योग है, जो शरीर को अंदर से ठंडा करता है और दांतों की देखभाल में मदद करता है। इस प्राणायाम में जमीन पर सुखासन की मुद्रा में बैठकर जीभ को बाहर निकालना होता है। फिर जीभ के किनारों को ऊपर की ओर मोड़ते हुए मुंह से सांस लेना और नाक से छोड़ना होता है। इसे दिन में 10 से 15 बार करने से मसूड़ों की सूजन में कमी आती है और दांत मजबूत बनते हैं। यह प्राणायाम मुंह के अंदर गर्मी को कम कर फंगल इन्फेक्शन और मसूड़ों की सूजन को भी रोकता है।
सर्वांगासन भी दांतों की समस्याओं से बचाव के लिए बहुत लाभकारी है। यह आसन मुंह में बैक्टीरिया के बढ़ने से होने वाली दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी को रोकने में मदद करता है। सर्वांगासन करते समय शरीर को कमर के बल लेटकर पैरों को ऊपर उठाना होता है, फिर धीरे-धीरे कूल्हे और कमर को ऊपर उठाकर शरीर का भार कंधों पर डालना होता है। हाथों से पीठ का सहारा लेकर इस स्थिति को संभालना होता है। शुरुआत में कुछ सेकंड के लिए यह आसन करना चाहिए और धीरे-धीरे समय बढ़ाना चाहिए। इससे रक्त संचार सुधरता है, जो दांतों और मसूड़ों को पोषण देने में मदद करता है।