क्या पंजाब में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उत्साह देखने को मिला?

सारांश
Key Takeaways
- योग ने लोगों के स्वास्थ्य को सशक्त किया है।
- 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' थीम को लोगों ने अपनाया।
- मुख्यमंत्री की पहल से योगशालाएं बढ़ रही हैं।
- योग ने सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा दिया है।
- भव्य आयोजनों में हजारों लोगों ने भाग लिया।
चंडीगढ़, 21 जून (राष्ट्र प्रेस)। 11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का उत्साह पंजाब में भी देखने को मिला। 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' की थीम के साथ, मोगा से लेकर वाघा बॉर्डर तक लोगों ने योगाभ्यास किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2014 में शुरू की गई इस पहल को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की 'सीएम दी योगशाला' ने नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। हजारों लोगों ने योगाभ्यास कर 'करो योग, रहो निरोग' के नारे को सार्थक किया।
मोगा में जिला प्रशासन ने डिप्टी कमिश्नर सागर सेतिया की अगुवाई में भव्य आयोजन किया, जिसमें हजारों शहरवासियों ने हिस्सा लिया।
जिलाधिकारी सागर सेतिया ने कहा, "सीएम दी योगशाला के तहत योग दिवस का आयोजन हुआ। लोग रोज 30-45 मिनट योग कर स्वस्थ रह सकते हैं।" सरकारी योग शिक्षिका भारती भावना ने बताया कि 1200 लोगों ने योग सत्र में हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा, "अक्टूबर 2023 से पंजाब के हर जिले में योगशालाएं शुरू हुई हैं, जो लोगों को जागरूक कर रही हैं। 'सीएम दी योगशाला' पहल के तहत मोगा में 97 योग कक्षाएं चल रही हैं।"
कार्यक्रम के प्रभारी हर्ष गोयल ने कहा, "मुख्यमंत्री का सपना है कि पंजाब का हर व्यक्ति स्वस्थ रहे। योगशालाएं इस दिशा में बड़ा कदम हैं। सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी मोगा के विभिन्न स्थानों पर योग कार्यक्रम आयोजित किए।"
वहीं, अमृतसर के वाघा बॉर्डर पर बीएसएफ ने 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य' थीम के तहत योग दिवस मनाया। बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर के आईजी अतुल फुलजले मुख्य अतिथि रहे। सैकड़ों बीएसएफ जवान, सीमावर्ती गांवों के निवासी, स्कूली बच्चे, खेल हस्तियां और पद्म पुरस्कार विजेता शामिल हुए।
आईजी फुलजले ने कहा, "योग एक जीवनशैली है, जो जवानों और नागरिकों में अनुशासन और आत्मबल बढ़ाता है।"
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलवीर सिंह ने कहा, "योगशालाएं पंजाब को स्वस्थ और नशामुक्त बनाने में मदद कर रही हैं।" फिरोजपुर में भी 95 दैनिक योग कक्षाएं चल रही हैं। उनके मुताबिक, योग ने न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव को भी मजबूत किया है।