क्या एसिडिटी दिल को बीमार कर सकती है? आयुर्वेद में हार्टबर्न का सही उपचार

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क्या एसिडिटी दिल को बीमार कर सकती है? आयुर्वेद में हार्टबर्न का सही उपचार

सारांश

क्या आप जानते हैं कि एसिडिटी की समस्या केवल पेट तक सीमित नहीं है? यह हार्टबर्न जैसी गंभीर समस्याएं भी पैदा कर सकती है। जानें आयुर्वेद में इसके उपचार के बारे में और कैसे आप अपनी जीवनशैली में सुधार कर सकते हैं।

Key Takeaways

  • एसिडिटी की समस्या को नजरअंदाज न करें।
  • आयुर्वेद में हार्टबर्न के लिए प्राकृतिक उपचार हैं।
  • संतुलित आहार से पाचन में सुधार हो सकता है।
  • योग और व्यायाम से स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • तनाव को कम करने की कोशिश करें।

नई दिल्ली, 28 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। एसिडिटी की समस्या आजकल इतनी सामान्य हो गई है कि लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं, लेकिन यह एसिडिटी सीने तक पहुँचकर हार्टबर्न जैसी दिक्कतें पैदा कर सकती है।

अधिकतर लोग समझते हैं कि सीने में जलन दिल की समस्या है, जबकि यह वास्तव में पेट से शुरू होकर सीने तक पहुँचती है और अनेक अन्य बीमारियों का कारण बनती है।

आयुर्वेद में हार्टबर्न के बारे में विस्तार से बताया गया है। जब शरीर में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है और पित्त बढ़ता है, तो पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है, जिससे खाना पचाने में कठिनाई होती है और सीने में जलन उत्पन्न होती है।

आयुर्वेद में हार्टबर्न के कई कारण बताये गए हैं, जिनमें खाना खाने के बाद टहलना नहीं, अधिक तीखे और खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन, तनाव, नींद की कमी, अत्यधिक कैफीन का सेवन और शारीरिक गतिविधियों का अभाव शामिल हैं। आयुर्वेद में सभी बीमारियों का समाधान है।

हार्टबर्न से बचने के लिए ठंडी और रसीली चीजों का सेवन करना चाहिए, जो पेट को ठंडा रखने में सहायता करती हैं। एलोवेरा का जूस सुबह खाली पेट पीने से पेट में बनने वाला अम्ल कम होता है और एसिडिटी से राहत मिलती है।

इसके अलावा, सौंफ का पानी भी पेट को ठंडा रखने में मददगार है। सौंफ की तासीर ठंडी होती है। आप रात को सौंफ और धागे वाली मिश्री का सेवन कर सकते हैं या सुबह उठकर सौंफ का पानी पी सकते हैं। ये दोनों तरीके पेट के पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक हैं।

इसके अलावा, हार्टबर्न से बचने के लिए सुबह खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाना, ठंडा दूध पीना और योग को जीवनशैली में शामिल करना फायदेमंद है। पेट की पाचन प्रक्रिया को सुधारने के लिए हल्की सैर, व्रजासन, बलासान, और पवनमुक्तासन कर सकते हैं।

Point of View

यह स्पष्ट है कि एसिडिटी और हार्टबर्न की समस्याएं आम जनता के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती हैं। आयुर्वेद में दी गई जानकारी हमें यह समझने में मदद करती है कि कैसे हम अपने खान-पान और जीवनशैली में छोटे बदलाव करके इन समस्याओं से निपट सकते हैं।
NationPress
28/09/2025

Frequently Asked Questions

एसिडिटी के क्या लक्षण होते हैं?
एसिडिटी के लक्षणों में सीने में जलन, पेट में भारीपन, और कभी-कभी उल्टी भी शामिल होती है।
हार्टबर्न से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
हार्टबर्न से बचने के लिए ठंडी चीजों का सेवन करना, योग करना, और तनाव से दूर रहना चाहिए।
क्या आयुर्वेद में हार्टबर्न का इलाज संभव है?
जी हाँ, आयुर्वेद में हार्टबर्न के लिए कई प्राकृतिक उपचार उपलब्ध हैं।