क्या अग्निसार क्रिया पाचन तंत्र को मजबूत कर पेट की चर्बी कम करने का अचूक तरीका है?

सारांश
Key Takeaways
- अग्निसार क्रिया पाचन तंत्र को सशक्त बनाती है।
- यह पेट की चर्बी कम करने में सहायक है।
- रेगुलर अभ्यास से मानसिक स्पष्टता बढ़ती है।
- सही विधि से अभ्यास करने पर बेहतर परिणाम मिलते हैं।
- विशेषज्ञ से सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 30 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। योग की प्राचीन शुद्धिकरण तकनीकों में से एक, अग्निसार क्रिया शरीर को स्वस्थ और ऊर्जा से भरपूर रखने का एक अद्वितीय उपाय है। यह क्रिया खासतौर पर पाचन तंत्र और श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाती है।
मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ योग के अनुसार, अग्निसार क्रिया न केवल पाचन क्षमता को बढ़ाती है, बल्कि पेट की अतिरिक्त चर्बी को भी कम करने में सहायक है। यह क्रिया पाचन अग्नि को सक्रिय कर कब्ज, अपच और गैस जैसी समस्याओं को समाप्त करती है। साथ ही, यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर पेट की चर्बी को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा, यह श्वसन प्रणाली को मजबूत बनाती है, तनाव को कम करती है और मानसिक स्पष्टता को बढ़ाती है। नियमित अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।
अग्निसार एक योगिक क्रिया है जिसमें पेट की मांसपेशियों को नियंत्रित तरीके से संकुचित और फैलाया जाता है। 'अग्निसार' शब्द 'अग्नि' (पाचन अग्नि) और 'सार' (सार तत्व) से मिलकर बना है, जो पाचन की आंतरिक शक्ति को सक्रिय करने का संकेत देता है। यह क्रिया पेट के अंगों की मालिश करती है, जिससे पाचन तंत्र सक्रिय होता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट
यह प्राचीन तकनीक आधुनिक दिनचर्या में भी स्वस्थ रहने का सरल और प्रभावी तरीका है। नियमित अभ्यास और संतुलित आहार के साथ, अग्निसार क्रिया शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक वरदान है। हालांकि, इसे करने से पहले एक्सपर्ट कुछ सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं। गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों, उच्च रक्तचाप, हर्निया जैसी समस्याओं से जूझ रहे व्यक्तियों को यह क्रिया करने से पहले सलाह लेनी चाहिए।