क्या पौष द्वादशी पर मंगलवार का अद्भुत संयोग है? जानें महत्व और पूजा विधि

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क्या पौष द्वादशी पर मंगलवार का अद्भुत संयोग है? जानें महत्व और पूजा विधि

सारांश

पौष माह की द्वादशी तिथि पर मंगलवार के अद्भुत संयोग का महत्व जानें। इस दिन त्रिपुष्कर योग और अभिजीत मुहूर्त विशेष फलदायक है। जानें पूजा विधि और शुभ कार्यों का महत्व।

Key Takeaways

  • पौष द्वादशी पर त्रिपुष्कर योग का निर्माण होता है।
  • मंगलवार का व्रत रखने से जीवन की बाधाएं दूर होती हैं।
  • हनुमान जी की पूजा विधि महत्वपूर्ण है।
  • लाल रंग शुभ माना जाता है।
  • शुभ कार्यों का आरंभ स्थायी प्रभाव डालता है।

नई दिल्ली, 15 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। पौष माह के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि मंगलवार को आ रही है। इस दिन सूर्य धनु राशि में और चंद्रमा तुला राशि में स्थित रहेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार को अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा तथा राहुकाल का समय दोपहर 2 बजकर 52 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 9 मिनट तक रहेगा। द्वादशी तिथि पर त्रिपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, त्रिपुष्कर योग को बहुत ही शुभ और फलदायक माना गया है। यह योग तब उत्पन्न होता है जब रविवार, मंगलवार, या शनिवार के दिन द्वितीया, सप्तमी, या द्वादशी में से कोई एक तिथि हो।

ऐसी मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्यों के परिणाम तीन गुना अधिक सफल होते हैं। यह योग विशेष रूप से व्यापार, संपत्ति खरीद, विवाह, शिक्षा, वाहन खरीद या नए कार्यों की शुरुआत के लिए विशेष रूप से उत्तम माना जाता है। इस दिन कोई भी शुभ कार्य आरंभ करने से उसका प्रभाव स्थायी, त्रिगुणित और दीर्घकालिक होता है।

इसके साथ ही इस तिथि पर मंगलवार भी है। यदि किसी जातक के जीवन में मंगल ग्रह से संबंधित समस्याएं हैं, तो वे मंगलवार का व्रत या राम भक्त हनुमान की पूजा कर सकते हैं। हनुमान जी को मंगल ग्रह के नियंत्रक के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के कष्ट, भय और चिंताएं दूर हो जाती हैं।

इस दिन अंजनी पुत्र का पूजन करने के लिए जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म और स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और पूजा की सामग्री रखें तथा उस पर अंजनी पुत्र की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और प्रसाद चढ़ाएं। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर बजरंगबली की आरती करें। इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम करके प्रसाद ग्रहण करें।

शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है। इस दिन लाल कपड़े पहनना और लाल रंग के फल, फूल और मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना जाता है।

Point of View

बल्कि जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए भी सहायक है।
NationPress
15/12/2025

Frequently Asked Questions

पौष द्वादशी का महत्व क्या है?
पौष द्वादशी का महत्व ज्योतिष में त्रिपुष्कर योग के निर्माण के कारण है, जो शुभ कार्यों के लिए फलदायक होता है।
मंगलवार का व्रत कैसे करें?
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से मंगल ग्रह से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं।
क्या इस दिन कोई खास पूजा विधि है?
इस दिन अंजनी पुत्र की पूजा करने की विधि है, जिसमें लाल कपड़ा, सिंदूर, और प्रसाद का उपयोग होता है।
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