क्या मंगलवार को द्विपुष्कर योग में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है?

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क्या मंगलवार को द्विपुष्कर योग में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है?

सारांश

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर मंगलवार को द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इस विशेष दिन में हनुमान जी की पूजा का अद्वितीय महत्व है, जो जीवन के कष्टों को दूर करने का माध्यम बनता है। जानें कैसे इस दिन की पूजा से लाभ प्राप्त करें।

Key Takeaways

  • द्विपुष्कर योग में शुभ कार्य का फल दोगुना होता है।
  • इस दिन हनुमान जी की पूजा से जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
  • लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है।
  • ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना शुभ होता है।
  • हनुमान चालीसा का पाठ करना फलदायी सिद्ध होता है।

नई दिल्ली, 22 सितंबर (राष्ट्र प्रेस)। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि पर मंगलवार को द्विपुष्कर योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन सूर्य कन्या राशि में रहेंगे। वहीं, चंद्रमा सुबह के 2 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 24 सितंबर तक कन्या राशि में रहेंगे। इसके बाद तुला राशि में गोचर करेंगे।

द्रिक पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर दोपहर के 12 बजकर 37 मिनट तक रहेगा और राहुकाल का समय दोपहर के 3 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 4 बजकर 46 मिनट तक रहेगा।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, द्विपुष्कर योग (रविवार, मंगलवार या शनिवार) को चंद्र तिथि (द्वितीया, सप्तमी या द्वादशी) और नक्षत्र (चित्रा, स्वाति, या धनिष्ठा) के एक विशिष्ट संयोग से बनता है।

इस योग में किए गए किसी भी शुभ कार्य का फल दोगुना प्राप्त होता है। इसलिए, द्विपुष्कर योग में शुभ कार्यों की शुरुआत करना लाभकारी होता है।

इसी के साथ ही मंगलवार का दिन भी है, जो रामभक्त हनुमान और मंगल ग्रह को समर्पित है।

स्कंद पुराण में उल्लेखित है कि बजरंगबली का जन्म भी मंगलवार को हुआ था। रामभक्त हनुमान को मंगल ग्रह के नियंत्रक के रूप में पूजा जाता है।

मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और हनुमान जी की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन के कष्ट, भय और चिंताएं दूर हो जाती हैं। साथ ही, मंगल ग्रह से संबंधित बाधाएं भी समाप्त होती हैं।

इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म-स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को साफ करें। फिर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और पूजा की सामग्री रखें और उस पर अंजनी पुत्र की प्रतिमा स्थापित करें।

इसके बाद, सिंदूर, चमेली का तेल, लाल फूल और प्रसाद चढ़ाएं। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ कर बजरंगबली की आरती करें। इसके बाद आरती का आचमन कर आसन को प्रणाम करके प्रसाद ग्रहण करें।

शाम को भी हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि लाल रंग मंगल ग्रह का प्रतीक है। इस दिन लाल कपड़े पहनना और लाल रंग के फल, फूल और मिठाइयां अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस पावन दिन पर हनुमान जी की आराधना कर जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की कामना करें।

Point of View

यह कहा जा सकता है कि इस प्रकार के धार्मिक योग और पूजा हमारे समाज में एकता और विश्वास को बढ़ावा देते हैं। श्रद्धा और आस्था से जुड़े ये अवसर लोगों को एकजुट करते हैं और जीवन में सकारात्मकता लाते हैं।
NationPress
22/09/2025

Frequently Asked Questions

द्विपुष्कर योग क्या है?
द्विपुष्कर योग एक ज्योतिषीय संयोग है, जो विशेष चंद्र तिथियों और नक्षत्रों के संयोजन से बनता है।
हनुमान जी की पूजा का महत्व क्या है?
हनुमान जी की पूजा से जीवन के कष्ट और भय दूर होते हैं। यह पूजा मंगल ग्रह से संबंधित बाधाओं को समाप्त करती है।
इस दिन क्या विशेष पूजा विधि है?
इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें, लाल कपड़ा बिछाएं और हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें।