क्या अम्बा हल्दी सामान्य हल्दी से ज्यादा लाभकारी है?
सारांश
Key Takeaways
- अम्बा हल्दी में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं।
- यह त्वचा के लिए लाभकारी है।
- पाचन में सुधार लाने में मदद करती है।
- घावों के उपचार में सहायक होती है।
- सर्दियों में जोड़ों के दर्द में राहत देती है।
नई दिल्ली, 4 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। रसोई में मुख्यतः पीली हल्दी का उपयोग किया जाता है, जिसका प्रयोग रंग और स्वाद के लिए किया जाता है। पीली हल्दी में कई गुण होते हैं, लेकिन अम्बा हल्दी के सामने इसके गुण कम नजर आते हैं।
अम्बा हल्दी को सामान्यतः सफेद हल्दी के नाम से जाना जाता है, जो दिखने में अदरक के समान होती है, लेकिन इसमें हल्की आम की खुशबू होती है। इसी कारण इसे अम्बा हल्दी कहा जाता है।
आयुर्वेद में अम्बा हल्दी को एक औषधि माना गया है। इसका उपयोग कई रोगों के उपचार के लिए किया जाता है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीइन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो त्वचा रोग, कैंसर, जुकाम, जोड़ों के दर्द, घावों को भरने, सूजन को कम करने और पाचन संबंधी समस्याओं में राहत दिलाते हैं।
अम्बा हल्दी का सेवन और लेप दोनों ही त्वचा के लिए लाभकारी हैं। इससे चेहरे के कील-मुहासे, खुजली, अस्वस्थ स्कैल्प और त्वचा रोगों का निदान किया जा सकता है। इसे दूध में डालकर उबालकर या फिर इसका अचार बनाकर सेवन किया जा सकता है।
अम्बा हल्दी का सेवन पाचन में सुधार लाने में भी सहायक है। इसके सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस तथा अपच जैसी समस्याएँ दूर होती हैं। इसके साथ ही, आंतों या लिवर की सूजन भी कम होती है। इसे गिलोय के साथ लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
चोट लगने पर अम्बा हल्दी का उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण घावों के संक्रमण को फैलने से रोकते हैं और घाव को जल्दी भरने में मदद करते हैं। शुगर के मरीजों में घाव धीरे भरने की समस्या होती है, लेकिन अम्बा हल्दी का उपयोग इससे निजात दिलाता है।
सर्दियों में जोड़ों के दर्द की समस्या बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में अम्बा हल्दी को दूध में उबालकर या इसे तेल में पकाकर दर्द वाली जगह पर लगाने से राहत मिलती है। यह जोड़ों के दर्द और सूजन दोनों को कम करने में सहायक है।