क्या आयुर्वेद का अनमोल सूत्र 'त्रिकटु' कई मर्ज की दवा है?
सारांश
Key Takeaways
- त्रिकटु पाचन और इम्यूनिटी को सुधारता है।
- यह सर्दी और खांसी में राहत देता है।
- सोंठ, काली मिर्च, और पिप्पली के संयोजन से बना है।
- आसान सेवन विधि है।
- यह शरीर के तीन दोषों को संतुलित करता है।
नई दिल्ली, 20 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की अव्यवस्थित और व्यस्त जीवनशैली में कमजोर पाचन और गिरती इम्यूनिटी प्रमुख समस्या बन गई है। आयुर्वेद के पास इसका प्रभावी समाधान त्रिकटु के रूप में उपलब्ध है।
छत्तीसगढ़ सरकार का आयुष विभाग त्रिकटु को सौ मर्ज की एक दवा के रूप में मानता है। यह चूर्ण, जो रसोई में मौजूद तीन मसालों से तैयार होता है, पाचन शक्ति को बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक है। इसे आयुर्वेद में 'अग्निदीपक' कहा गया है।
त्रिकटु का तात्पर्य है तीन तीखी औषधियाँ: सोंठ (सूखी अदरक), काली मिर्च, और पिप्पली। ये तीनों औषधियाँ मिलकर शरीर की जठराग्नि को प्रज्वलित करती हैं, जिससे भोजन का पाचन बेहतर हो जाता है और शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
सोंठ गले की खराश को दूर करती है और सूजन को कम करने में सहायक है। काली मिर्च रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और पिप्पली मेटाबॉलिज्म को तेज करती है।
यह त्रिकटु न केवल पाचन तंत्र को सुधारता है बल्कि सर्दी, खांसी, अस्थमा, मोटापा, सुस्ती और कमजोरी जैसी कई समस्याओं में भी राहत देता है।
आयुर्वेदाचार्य त्रिकटु के सेवन की विधि भी बताते हैं। आधा चम्मच त्रिकटु चूर्ण को गुनगुने पानी या शहद के साथ सुबह खाली पेट लें। रात में गर्म दूध के साथ लेने से खांसी और बलगम में तात्कालिक राहत मिलती है। इसे घर पर आसानी से बनाया जा सकता है।