क्या शारीरिक कमजोरी में असरदार औषधि 'बला' मांसपेशियों और नसों को मजबूती देती है?

सारांश
Key Takeaways
- बला औषधि शारीरिक कमजोरी से राहत दिलाती है।
- यह थकान को दूर करने में मददगार है।
- बला का तेल जोड़ों के दर्द में राहत देता है।
- बला का उपयोग गर्भावस्था के बाद महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है।
- इसका सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
नई दिल्ली, 3 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रकृति में ऐसी अनेक औषधियां हैं जो किसी भी दवा से कहीं अधिक प्रभावी होती हैं, और 'बला' उन्हीं में से एक है। इसका उपयोग आयुर्वेद में हजारों वर्षों से किया जा रहा है।
बला का उल्लेख चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और भावप्रकाश निघंटु जैसे प्राचीन ग्रंथों में विस्तार से किया गया है। आयुर्वेद में इसे कई नामों से जाना जाता है, जैसे 'बल्य', 'वातहर', 'वीर्यवर्धक', 'शुक्रवर्धक' और 'दाह शमन'। यह औषधि शरीर को ताकत देने के साथ-साथ थकान को दूर करती है और कई बीमारियों में लाभकारी मानी जाती है।
चरक संहिता के अनुसार, बला वात दोष को कम करती है। जो लोग जोड़ों में दर्द, नसों की कमजोरी या गैस से जुड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह औषधि बेहद लाभकारी है। इसके अतिरिक्त, यह दूध और वीर्य को बढ़ाने वाली और थकान मिटाने वाली औषधि भी मानी जाती है। इसका स्वाद मीठा होता है, इसलिए इसे आयुर्वेद में मधुर रस कहा गया है। यह शरीर को ठंडक प्रदान करती है और वात-कफ को संतुलित करती है।
आधुनिक विज्ञान ने भी बला के गुणों को पहचाना है। शोध में यह पाया गया है कि बला में एंटीऑक्सिडेंट्स, फ्लेवोनॉयड्स, अल्कलॉइड्स और फाइटोस्टेरॉल जैसे तत्व होते हैं, जो शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। इसमें एक इफेड्रिन जैसा खास तत्व भी है, जो शरीर की सहनशक्ति को बढ़ाता है और थकावट को दूर करता है।
यह उल्लेखनीय है कि इफेड्रिन का उपयोग अस्थमा और हाइपोटेंशन के उपचार में किया जाता है।
शारीरिक कमजोरी में बला ताकत प्रदान करती है। यह बच्चों, बुजुर्गों और बीमार व्यक्तियों के लिए बहुत उपयोगी है क्योंकि यह शरीर को तेजी से ठीक होने में सहायता करती है। वात रोग, जैसे कि जोड़ों का दर्द, गठिया, पक्षाघात और नसों की कमजोरी में यह रामबाण मानी जाती है।
महिलाओं के लिए यह विशेष लाभकारी है, खासकर गर्भावस्था के बाद शरीर को ताकत देने और दूध बढ़ाने के लिए इसका सेवन किया जाता है। यह दर्द और सूजन में भी राहत देती है। इसका तेल जोड़ों पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
यदि बच्चों को सर्दी-खांसी है, तो बला का अर्क देने से राहत मिलती है। स्नान से पहले बला तेल की मालिश करने से पूरे शरीर में ऊर्जा मिलती है और थकान दूर होती है। अधिक कमजोरी होने पर बला, शतावरी और अश्वगंधा को मिलाकर सेवन करने से शरीर को मजबूती मिलती है।
हालांकि, बला के जितने फायदे हैं, उतनी ही सावधानियां भी हैं। यदि इसे अधिक मात्रा में लिया जाए तो यह कफ बढ़ा सकती है, जिससे बलगम या जुकाम हो सकता है। जिन लोगों का शरीर बहुत ठंडा रहता है, उन्हें इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए। कोई भी आयुर्वेदिक औषधि लेने से पहले किसी अच्छे वैद्य या आयुर्वेदाचार्य से सलाह लेना आवश्यक है।