क्या आप जानते हैं बिसराया हुआ मिनरल? ऐसा 'ग्रीन हथियार' जो थकान, तनाव और शुगर को कर दे दूर
सारांश
Key Takeaways
- मैग्नीशियम शरीर का महत्वपूर्ण खनिज है जो कई क्रियाओं में शामिल है।
- हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक और मेथी, ग्रीन मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं।
- मैग्नीशियम की कमी से थकान और चिंता बढ़ सकती है।
- प्राकृतिक स्रोतों से मैग्नीशियम लेना अधिक फायदेमंद है।
- अत्यधिक सप्लीमेंट का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
नई दिल्ली, 13 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आमतौर पर लोग आयरन और कैल्शियम की कमी के प्रति सतर्क रहते हैं। इनके लाभ और हानि पर हम अक्सर विचार प्रस्तुत करते हैं। लेकिन वर्तमान में 'ग्रीन हथियार' का उल्लेख काफी बढ़ गया है। यह एक ऐसा हथियार है जो चुपचाप थकान, तनाव और शुगर जैसी समस्याओं का समाधान करता है। इस पोषक तत्व को हाल ही में स्वास्थ्य विशेषज्ञ ‘भूला हुआ मिनरल’ के रूप में पहचान रहे हैं। यह बिसराया हुआ खनिज ‘मैग्नीशियम’ है।
हाल की रिसर्च से पता चलता है कि इसका हरा रूप, यानि क्लोरोफिल से समृद्ध हरा मैग्नीशियम, हमारे शरीर की ऊर्जा, नींद और मानसिक संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन की 2025 की स्टडी के अनुसार, विश्व की लगभग 70 फीसदी जनसंख्या में मैग्नीशियम का स्तर सामान्य से कम है। इसका सबसे बड़ा कारण फास्ट फूड, प्रोसेस्ड आहार और तनावग्रस्त दिनचर्या है। इस कमी के कारण हमें थकान, अनिद्रा, रक्त शुगर असंतुलन और यहां तक कि चिंता का सामना करना पड़ता है।
मैग्नीशियम शरीर की 300 से अधिक बायोकेमिकल क्रियाओं (दिल की धड़कन, इंसुलिन नियंत्रण और मांसपेशियों की ऊर्जा) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन ‘हरी मैग्नीशियम’ या ‘प्लांट-सोर्स्ड मैग्नीशियम’, जो क्लोरोफिल से जुड़ा होता है, शरीर में धीरे-धीरे और संतुलित तरीके से अवशोषित होता है। इसलिए अब इसे ‘सस्टेनेबल मिनरल’ कहा जाता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि पालक, मेथी, सहजन की पत्तियां, चुकंदर के पत्ते, मटर, एवोकाडो और सूरजमुखी के बीज ग्रीन मैग्नीशियम के पावरहाउस हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो की 2024 की एक स्टडी में पाया गया कि जो लोग रोजाना एक कप हरी पत्तेदार सब्जियां खाते हैं, उनमें रक्त शुगर के उछाल में 25 फीसदी की कमी और नींद की गुणवत्ता में 30 फीसदी का सुधार होता है।
दिलचस्प बात यह है कि ‘हरी मैग्नीशियम डाइट’ मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ी हुई है। क्लोरोफिल और मैग्नीशियम मिलकर ‘गामा-एमिनोब्यूटिरिक एसिड (जीएबीए)’ नामक न्यूरोट्रांसमीटर को सक्रिय करते हैं, जो तनाव और चिंता को कम करने में सहायक है। यही कारण है कि कई न्यूट्रिशनिस्ट अब इसे ‘नेचुरल रिलैक्सन’ के रूप में मानते हैं।
कई फिटनेस एक्सपर्ट अब “ग्रीन स्मूदी रूटीन” की सिफारिश कर रहे हैं। सुबह-सुबह पालक, कीवी, नींबू और फ्लैक्स सीड से बनी ड्रिंक, जो ऊर्जा और रक्त शुगर दोनों को संतुलित रखती है। भारत में आयुर्वेद विशेषज्ञ इसे “हरी तासीर वाली ऊर्जा” का नाम देते हैं।
विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि सप्लीमेंट्स की बजाय प्राकृतिक स्रोतों से मैग्नीशियम लेना अधिक फायदेमंद है। अत्यधिक सप्लीमेंट का सेवन शरीर में मिनरल असंतुलन या दस्त जैसी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। डब्ल्यूएचओ की न्यूट्रिशन गाइडलाइन (2025) भी कहती है, “हर दिन की आवश्यकता का 70–80 फीसदी पोषण भोजन से ही प्राप्त होना चाहिए, न कि कैप्सूल से।”