क्या चक्रमर्द सफेद दाग, दाद-खाज, और मधुमेह से राहत दिलाने वाला चमत्कारी पौधा है?

सारांश
Key Takeaways
- चक्रमर्द सफेद दाग, दाद-खाज का प्राकृतिक उपचार है।
- इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
- रक्त शर्करा नियंत्रित करने में सहायक है।
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है।
- त्वचा की रंगत को साफ करने में मददगार।
नई दिल्ली, 2 जुलाई (राष्ट्र प्रेस)। प्रकृति के अद्भुत खजानों में से एक है चक्रमर्द, जिसे चकवड़ भी कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम कैसिया ऑरिक्युलेटा है। आयुर्वेद में इस औषधीय पौधे की कई विशेषताएं हैं, जो मानव स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित होती हैं।
चक्रमर्द के (10 ग्राम) बीजों को छाछ में 8 दिन तक भिगोकर रखने के बाद, उसे पीसकर (5 ग्राम) हल्दी और (5 ग्राम) बावची के साथ मिलाकर लेप बनाने से सफेद दाग, दाद, खाज और खुजली जैसी पुरानी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
चक्रमर्द के पत्ते, फूल और बीज रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में सहायक हैं। नियमित रूप से इसका काढ़ा या चूर्ण लेने से इंसुलिन के स्तर में स्थिरता आती है। इसके पत्ते और बीज पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं, जिससे पेट में दर्द और गैस की समस्या नहीं होती।
इसके पत्तों का पेस्ट त्वचा पर लगाने से एंटीबैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण काम करते हैं, जिससे मुंहासे, फोड़े-फुंसी और घाव ठीक होते हैं। चक्रमर्द के बीज और पत्तियां मूत्र प्रणाली को संतुलित करती हैं और संक्रमण से बचाव में मदद करती हैं।
यह लीवर की कार्यक्षमता को बढ़ाता है और शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक है, जो अपने भोजन में अधिक तेल का उपयोग करते हैं। इस पौधे में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
सर्दियों में सर्दी-जुकाम से परेशान लोग इसका काढ़ा बनाकर पीते हैं, जिससे उनकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है। कुछ स्थानों पर चक्रमर्द के पत्तों का लेप त्वचा की रंगत को साफ करने के लिए भी इस्तेमाल होता है, जिससे त्वचा में निखार आता है। इसे 'देसी ग्लो' भी कहा जाता है।