क्या छोटी दूधी है चमत्कारिक? पेट और त्वचा का रखती है ख्याल!

सारांश
Key Takeaways
- छोटी दूधी पेट की समस्याओं में राहत देती है।
- इसका दूधिया रस त्वचा के लिए फायदेमंद है।
- बालों की झड़ने की समस्या को कम करने में सहायक है।
- इसका उपयोग आयुर्वेद में सदियों से हो रहा है।
- किसी भी बीमारी के लिए उपयोग से पहले विशेषज्ञ से सलाह लें।
नई दिल्ली, 8 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। भारत के साथ-साथ कई उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अक्सर खाली जमीन पर एक छोटा पौधा पाया जाता है, जिसे हम 'छोटी दूधी' के नाम से जानते हैं। इसके तने और पत्तियों से निकलने वाला दूधिया रस इसकी पहचान को आसान बनाता है। हालांकि, इसे अक्सर एक खरपतवार समझकर नजरअंदाज किया जाता है, लेकिन आयुर्वेद में इसका उपयोग कई बीमारियों के उपचार के लिए सदियों से हो रहा है।
छोटी दूधी का वैज्ञानिक नाम 'यूफॉर्बिया थाइमीफोलिया' है। इसे अंग्रेजी में 'थाईम लीव्ड स्पर्ज' कहा जाता है। यह 'युफोरबिएसी' परिवार से संबंधित है और इसका फैलाव जमीन पर होता है। इसकी टहनियां पतली और लाल होती हैं, जबकि फूल छोटे और हरे-लाल रंग के होते हैं, जो पत्तियों के बगल में गुच्छों में होते हैं।
अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, छोटी दूधी पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे दस्त, कब्ज और अपच से राहत दिलाने में मददगार होती है। यह शरीर की ऊर्जा को बढ़ाकर कमजोरी को दूर करने में भी सहायक है।
इसके पौधे का रस या पत्तों का काढ़ा पेट के कीड़ों को खत्म करने में मदद करता है। इसमें मौजूद कसैले गुण रक्तस्राव और घावों के उपचार में सहायक होते हैं और यह दस्त या पसीने को भी नियंत्रित करते हैं।
दूधिया रस का उपयोग दाद, खुजली, कील-मुंहासे और अन्य त्वचा संक्रमणों के उपचार के लिए किया जाता है। यह काले और घने बालों के शौकीनों के लिए भी लाभकारी है। इसके उपयोग से बाल लंबे, घने, काले और चमकदार बनते हैं। बालों के झड़ने की समस्या को भी यह दूर करने में मदद करता है। छोटी दूधी से बना हेयर मास्क बालों को चमकीला बनाता है। इसे बनाने के लिए घास का दूध निकालकर या इसे पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इसे बालों में लगाकर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें।
छोटी दूधी के कई औषधीय गुण हैं, लेकिन इसका उपयोग किसी भी बीमारी के उपचार के लिए करने से पहले हमेशा किसी चिकित्सक या आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से परामर्श लेना आवश्यक है। कुछ स्थितियों में इसका गलत या अधिक मात्रा में सेवन हानिकारक हो सकता है, विशेषकर दिल के मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए।