क्या आयुर्वेद से दांतों को मोती की तरह चमकदार बनाया जा सकता है?
सारांश
Key Takeaways
- तेल से कुल्ला दांतों की सफाई के लिए उत्तम है।
- त्रिफला का सेवन पाचन में सुधार लाता है।
- नीम की दातुन का उपयोग करें।
- लौंग का तेल मसूड़ों की सूजन को कम करता है।
- सही आहार दांतों की सेहत के लिए जरूरी है।
नई दिल्ली, 28 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। दांत शरीर का एक अनिवार्य हिस्सा हैं, जो न केवल खूबसूरती को बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर को ऊर्जा प्रदान करने में भी सहायक होते हैं। दांतों से ही भोजन की पाचन क्रिया आरंभ होती है, और यदि दांत और मसूड़े स्वस्थ नहीं होते हैं, तो यह पूरे पाचन तंत्र और शरीर की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
आयुर्वेद में दांतों के स्वास्थ्य को शरीर के स्वास्थ्य का एक प्रमुख आधार माना गया है। यहाँ दांतों को अस्थि धातु (हड्डी) से जोड़ा गया है। यदि पाचन शक्ति कमजोर होती है, तो इसका सबसे पहले असर दांतों पर पड़ता है। जीवनशैली की कुछ आदतें जैसे दिन में दो बार दातुन न करना, तंबाकू का सेवन करना, और मीठा खाना भी दांतों को नुकसान पहुंचाते हैं।
आयुर्वेद में दांतों की देखभाल के लिए कई सरल उपाय बताये गए हैं। सबसे पहले, तेल से कुल्ला करना बहुत फायदेमंद है। इसके लिए सुबह 5-10 मिनट तक नारियल या तिल के तेल का उपयोग करें। यह दांतों को साफ रखता है और मसूड़ों को स्वस्थ बनाता है।
दांतों के स्वास्थ्य के लिए त्रिफला का सेवन भी लाभकारी है। रात को सोने से पहले गुनगुने पानी में त्रिफला पाउडर मिलाकर पीना चाहिए। यह पाचन संबंधी समस्याओं को कम करता है। बाजार में मिलने वाले टूथपेस्ट के बजाय नीम की दातुन का इस्तेमाल करें या त्रिफला, लौंग, अजवाइन, और नीम की छाल के पाउडर से दांतों को साफ करें। ये दांतों की चमक बढ़ाने के साथ-साथ कैविटी और बदबू की समस्याओं को भी दूर करते हैं।
लौंग का तेल दांतों को मजबूत बनाने में मददगार है। यह मसूड़ों की सूजन को कम करता है और दांतों में कीड़े लगने से रोकता है। इसके साथ ही, लौंग का तेल दांतों की खूबसूरती को भी बनाए रखता है।
दांतों को स्वस्थ रखने के लिए आहार में परिवर्तन भी आवश्यक है। शरीर में कैल्शियम और प्रोटीन की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए। सर्दियों में गुड़, तिल, मूंगफली और सूखे मेवे का सेवन करें।