क्या कैंसर की पहचान अब होगी आसान? 150 से अधिक आशा वर्कर्स को मिली ट्रेनिंग

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क्या कैंसर की पहचान अब होगी आसान? 150 से अधिक आशा वर्कर्स को मिली ट्रेनिंग

सारांश

दिल्ली में कैंसर की पहचान को आसान बनाने के लिए 150 से अधिक आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया गया है। यह पहल कैंसर के शुरुआती लक्षणों की पहचान और मरीजों को सही समय पर इलाज दिलाने के लिए महत्वपूर्ण है। जानें इस पहल के बारे में और कैसे यह महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करेगी।

Key Takeaways

  • कैंसर की प्रारंभिक पहचान में 90 प्रतिशत जीवित रहने की संभावना होती है।
  • कैंसर जागरूकता के लिए आशा कार्यकर्ताओं का प्रशिक्षण किया गया है।
  • दिल्ली में 150 से अधिक आशा कार्यकर्ता इस पहल का हिस्सा हैं।
  • महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतें कम करने का उद्देश्य है।
  • डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से स्क्रीनिंग की प्रगति पर नजर रखी जाएगी।

नई दिल्ली, 11 अगस्त (राष्ट्र प्रेस)। दिल्ली में कैंसर के खिलाफ एक नई पहल की शुरुआत की गई है, जिसमें 150 से अधिक आशा कार्यकर्ताओं को सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर की प्रारंभिक पहचान और डायग्नोसिस के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

यह पहल नेशनल एसोसिएशन फॉर रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ ऑफ इंडिया (नारची) और सर गंगा राम अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी द्वारा मिलकर शुरू की गई है।

प्रशिक्षण 8 से 10 अगस्त तक दिल्ली में आयोजित 31वें वार्षिक सम्मेलन में प्रदान किया गया।

आशा कार्यकर्ताओं को सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के लक्षणों की पहचान, मरीजों को शीघ्र डायग्नोस्टिक सेंटर तक पहुँचाने, और कैंसर के प्रति डर एवं भ्रांतियों को दूर करने के लिए संवाद कौशल सिखाए गए। इसके अतिरिक्त, उन्हें ट्रैकिंग टूल्स का उपयोग करना भी सिखाया गया, ताकि संदिग्ध मामलों को दर्ज कर उनका प्रभावी रूप से फॉलो-अप किया जा सके।

नारची दिल्ली चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. माला श्रीवास्तव ने कहा, "प्रारंभिक पहचान से कैंसर में 90 प्रतिशत से अधिक जीवित रहने की संभावना होती है, जबकि देर से डायग्नोसिस में यह दर 40 प्रतिशत से कम रहती है। आशा कार्यकर्ताओं को कैंसर के प्रारंभिक लक्षण पहचानने के लिए तैयार करके हम बीमारी को बढ़ने से पहले रोक सकते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "150 से अधिक आशा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से हम महिलाओं को उनके समुदाय की स्वास्थ्य रक्षक बनाने में सक्षम हुए हैं, जिससे महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौतें कम होंगी।"

भारत में हर साल लगभग 13 लाख नए कैंसर के मामले सामने आते हैं और 8 लाख से अधिक मौतें होती हैं। चिंताजनक बात यह है कि केवल पांच में से एक मामला स्टेज 1 में पता चलता है, जब इलाज ज्यादा प्रभावी होता है।

प्रत्येक आशा कार्यकर्ता आमतौर पर लगभग 1,000 लोगों की सेवा करती है, इसलिए इस कार्यक्रम की संभावित पहुँच बहुत बड़ी है।

नारची दिल्ली चैप्टर की उपाध्यक्ष डॉ. चंद्रा मंसुखानी ने कहा, "एक प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता अपने समुदाय में उम्मीद की किरण बन सकती है। स्टेज 1 में कैंसर का पता लगने से इलाज सस्ता, आसान और अधिक प्रभावी होता है।"

यह पहल दिल्ली में दस लाख से अधिक लोगों तक कैंसर जागरूकता और स्क्रीनिंग पहुँचाने की अपेक्षा करती है। अगले एक साल में दिल्ली के सभी जिलों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए जाएंगे, जहाँ आशा कार्यकर्ता मोहल्लों और स्कूलों में स्क्रीनिंग कैंप आयोजित करेंगी। डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से स्क्रीनिंग, रेफरल और प्रारंभिक डायग्नोसिस की प्रगति पर निगरानी रखी जाएगी।

Point of View

यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को बढ़ाता है, बल्कि यह महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह पहल भारत में कैंसर के बढ़ते मामलों के बीच एक सकारात्मक कदम है।
NationPress
11/08/2025

Frequently Asked Questions

आशा कार्यकर्ताओं को किस प्रकार की ट्रेनिंग दी गई है?
आशा कार्यकर्ताओं को सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण पहचानने, मरीजों को डायग्नोस्टिक सेंटर तक पहुँचाने और संवाद कौशल सिखाए गए हैं।
इस पहल का लक्ष्य क्या है?
इस पहल का लक्ष्य कैंसर की प्रारंभिक पहचान को बढ़ावा देना और मरीजों को समय पर उपचार दिलाना है।