क्या गॉल ब्लैडर स्टोन आपकी अनहेल्दी आदतों का नतीजा है? आयुर्वेदिक उपायों से पाएं राहत
सारांश
Key Takeaways
- गॉल ब्लैडर स्टोन का मुख्य कारण खराब जीवनशैली है।
- आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ पथरी को रोकने में सहायक हैं।
- सही खान-पान और नियमित व्यायाम पित्त को संतुलित रखता है।
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। आजकल पित्त की पथरी (गॉल ब्लैडर स्टोन) एक सामान्य समस्या बन गई है, विशेषकर उन व्यक्तियों में जो लंबे समय तक बैठकर काम करते हैं और अनहेल्दी जीवनशैली अपनाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, पित्ताशय में पथरी पित्त-कफ के असंतुलन और मेद धातु की रुकावट के कारण उत्पन्न होती है। जब शरीर की अग्नि कमजोर हो जाती है और पित्त अधिक गाढ़ा हो जाता है, तो धीरे-धीरे पथरी बनने लगती है।
मुख्य कारणों में तली-भुनी चीजों का सेवन, बार-बार भोजन करना, अधिक मसाले, लाल मिर्च, सिरका, रात में भारी भोजन, कम पानी पीना, उपवास के बाद भारी भोजन करना, चिंता और तनाव, तथा लंबे समय तक बैठे रहना शामिल हैं। कुछ महिलाओं में हार्मोनल परिवर्तन, जैसे कि एक्स्ट्रा एस्ट्रोजन, भी गॉल ब्लैडर स्टोन के खतरे को बढ़ाते हैं।
शुरुआत में इसके लक्षण हल्के होते हैं, इसलिए समय पर पहचान करना आवश्यक है। घरेलू उपायों और आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से पथरी को रोकना और पित्त को हल्का रखना संभव है। इसमें धन्वन्तरि गुग्गुल, भृंगराज का रस, कुल्थी का सूप, पित्तपापड़ा, गिलोय और वरुणादि क्वाथ जैसी जड़ी-बूटियां सहायक होती हैं। रोज सुबह गुनगुने पानी में नींबू, काला जीरा और शहद लेना, अदरक-पुदीना-तुलसी की चाय पीना और रात को त्रिफला या सौंफ-मिश्री-धनिया का सेवन करना लाभकारी होता है।
इन उपायों से छोटी पथरी घुल सकती है, बाइल फ्लो में सुधार होता है, उल्टी, गैस और भूख न लगने जैसी समस्याएं कम होती हैं और दोबारा पथरी बनने का खतरा घटता है।
इसके साथ ही कुछ सावधानियों का पालन करना भी आवश्यक है। दर्द होने पर खुद से पेनकिलर न लें, नींबू या एप्पल साइडर विनेगर का अधिक सेवन न करें। कड़क चाय-कॉफी और लाल मिर्च के सेवन से भी बचें।
आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों मानते हैं कि पित्त की पथरी का सबसे बड़ा कारण खराब जीवनशैली है। सही खान-पान, पर्याप्त पानी, हल्की-फुल्की एक्सरसाइज और मानसिक शांति अत्यंत आवश्यक हैं। ये पित्त को संतुलित रखते हैं और पथरी बनने से रोकते हैं।