क्या पोहा सिर्फ नाश्ता है, या यह एक हेल्थ बूस्टर भी है? जानिए आयुर्वेदिक विधि!
                                सारांश
Key Takeaways
- पोहा
 - आयुर्वेदिक तरीका
 - ऊर्जा का स्रोत
 - वजन नियंत्रित
 - पाचन सुधारने वाला
 
नई दिल्ली, 3 नवंबर (राष्ट्र प्रेस)। पोहा एक ऐसा नाश्ता है जो न केवल हल्का और स्वादिष्ट है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभकारी है। चावल से बनता यह व्यंजन जल्दी पकता है और आसानी से पच जाता है, जिससे यह भारत के कई राज्यों जैसे महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, और छत्तीसगढ़ में नाश्ते का प्रमुख हिस्सा बन चुका है।
आयुर्वेद के अनुसार, सही समय और तरीके से लिया गया पोहा शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, पाचन को संतुलित करता है, और मन को हल्का महसूस कराता है।
आयुर्वेद में पोहा को स्निग्ध और हल्का भोजन माना गया है। इसके गुण थोड़े भारी लेकिन शीतल और मधुर होते हैं, जो पित्त और वात को संतुलित करते हैं। पोहा तात्कालिक ऊर्जा देने वाला भोजन है, जिससे सुबह जल्दी थकान नहीं होती। हल्का होने के कारण यह पेट पर बोझ नहीं डालता और व्यायाम या लंबी यात्रा से पहले ऊर्जा का अच्छा स्रोत बनता है। यदि इसमें कम तेल और सब्जियाँ डालें, तो यह वजन नियंत्रित रखने में भी मदद करता है।
इसके अलावा, पोहा आयरन का एक प्राकृतिक स्रोत है, जो खासकर गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी है और डायबिटीजहाइड्रेटेड और ठंडा रखता है।
पोहा खाने का आयुर्वेदिक तरीका भी खास है। सुबह नाश्ते में ताजे नींबू का रस, हरी सब्जियां, मूंगफली या तिल मिलाकर सेवन करने से पोषण और ऊर्जा दोगुना हो जाती है। गर्मियों में दही के साथ पोहा ठंडक देता है, जबकि सर्दियों में गुड़ मिलाकर खाने से यह रक्तवर्धक और ऊर्जा प्रदान करता है। थकान दूर करने के लिए नींबू, काली मिर्च और हरी धनिया, पाचन सुधारने के लिए अदरक और हल्दी, एनीमिया में मूंगफली और पालक डालकर पोहा बनाया जा सकता है। सर्दी-जुकाम में अदरक और काली मिर्च मिलाकर गरम पोहा शरीर को गर्मी देता है।
हालांकि, ज्यादा तेल में तला हुआ या रात भर रखा पोहा पचने में भारी हो जाता है और कफ बढ़ा सकता है। डायबिटीज