क्या जीएसटी काउंसिल एयर और वाटर फ्यूरीफायर पर टैक्स को 5 प्रतिशत तक कम करने पर विचार कर सकती है?
सारांश
Key Takeaways
- जीएसटी काउंसिल एयर और वाटर फ्यूरीफायर पर टैक्स 5 प्रतिशत तक कम कर सकती है।
- इससे उत्पादों की अफोर्डेबिलिटी बढ़ेगी।
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने स्वच्छ हवा की आवश्यकता पर जोर दिया है।
नई दिल्ली, 30 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। जीएसटी काउंसिल अपनी अगली बैठक में एयर और वाटर फ्यूरीफायर पर टैक्स को 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत करने पर विचार कर सकती है।
मुख्य सूत्रों के अनुसार, सरकार इन उत्पादों को कंज्यूमर गुड्स की श्रेणी से हटाकर आवश्यक उत्पादों में वर्गीकृत करने पर विचार कर रही है।
यदि ऐसा होता है, तो एयर और वाटर फ्यूरीफायर की अफोर्डेबिलिटी में वृद्धि होगी और इनकी कीमतें 10-15 प्रतिशत तक कम होंगी, जिससे ज्यादा लोग इन उत्पादों को खरीद सकेंगे।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक की तारीख अभी तय नहीं हुई है। पिछली 56वीं बैठक सितंबर में हुई थी, जिसमें इन उत्पादों पर दरों को अपरिवर्तित रखा गया था।
हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने सरकार से कहा था कि दिल्ली एनसीआर की वायु गुणवत्ता के मद्देनजर, अगर आवश्यक हो तो वर्चुअल बैठक के माध्यम से एयर फ्यूरीफायर पर टैक्स को घटाने या समाप्त करने पर विचार किया जाए।
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन वेंकटरमन ने अदालत को बताया कि बैठकें आमने-सामने होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “एक प्रक्रिया चल रही है लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि इसे लागू किया जाएगा या नहीं।”
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि नागरिकों के लिए स्वच्छ हवा सुनिश्चित नहीं की जा सकती, तो कम से कम एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी को कम किया जाना चाहिए।
अदालत ने यह बयान एयर प्यूरीफायर को चिकित्सा उपकरण की श्रेणी में शामिल करने की मांग वाली जनहित याचिका (पीएलआई) पर सुनवाई के दौरान दिया और केंद्र को अस्थायी जीएसटी छूट देने के संबंध में तत्काल निर्देश जारी करने को कहा था।
जनहित याचिका के अनुसार, उच्च दक्षता वाले एयर प्यूरीफायर पीएम 2.5, पीएम 10 और अन्य खतरनाक प्रदूषकों के संपर्क को कम करते हैं, जो कि निवारक चिकित्सा में सहायक होते हैं।