क्या चोपचीनी भारत की 39 खास प्रजातियों में से एक है? जानें इसके अद्भुत लाभ

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क्या चोपचीनी भारत की 39 खास प्रजातियों में से एक है? जानें इसके अद्भुत लाभ

सारांश

चोपचीनी, एक अद्भुत आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी, न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है बल्कि इसकी जड़ों का उपयोग कई समस्याओं के समाधान में भी किया जाता है। जानें इसके फायदों और उपयोग के बारे में।

Key Takeaways

  • चोपचीनी को आयुर्वेद में महत्वपूर्ण माना गया है।
  • यह त्वचा और जोड़ों की समस्याओं में सहायक है।
  • गर्भवती महिलाओं और विशेष स्वास्थ्य समस्याओं वाले व्यक्तियों को सावधानी बरतनी चाहिए।
  • इसके सेवन से यूरिक एसिड की समस्या कम हो सकती है।
  • बिना चिकित्सकीय सलाह के इसका सेवन न करें।

नई दिल्ली, 30 जून (राष्ट्र प्रेस)। आयुर्वेद में कई अद्भुत जड़ी-बूटियाँ हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान करती हैं। इनमें से एक प्रमुख जड़ी बूटी चोपचीनी या चोबचीनी है। आयुर्वेदिक औषधियों में इसकी जड़ से बनाया गया चूर्ण प्रयोग किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए इसके सेवन में सावधानी बरतनी आवश्यक है।

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, विश्वभर में चोपचीनी की लगभग 262 अलग-अलग प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जबकि भारत में इसकी 39 प्रजातियाँ हैं। इनमें से स्मिलैक्स टर्बन का पता पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में चला था। यह पौधा चीन, कोरिया, ताइवान, जापान, फिलीपींस, वियतनाम, थाईलैंड, म्यांमार और भारत में पाया जाता है।

चोपचीनी को 'चाइना रूट' (चीनी जड़) के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम स्मिलैक्स चाइना है। यह एक बारहमासी पौधा है जो पूर्वी एशिया का मूल निवासी है और पारंपरिक चिकित्सा में इसके उपयोग का एक लंबा इतिहास है। चोपचीनी स्मिलैकेसी परिवार से संबंधित है, जो रक्त को शुद्ध करने, हानिकारक तत्वों को समाप्त करने, और सूजन संबंधी रोगों के उपचार में सहायक होती है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के अनुसार, चोपचीनी की जड़ के अर्क में क्वेरसेटिन, रेस्वेराट्रोल और ऑक्सीरेसर्वेराट्रोल जैसे तत्व मौजूद हैं, जो मुहांसों के उपचार में सहायक होते हैं। इसके अलावा, चोपचीनी के तेल का उपयोग जोड़ों के दर्द को कम करने में भी किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार, यह यूरिक एसिड की समस्या को दूर करने में लाभदायक सिद्ध होती है। कुछ दिनों तक नियमित रूप से चोपचीनी के चूर्ण का आधा चम्मच सुबह खाली पेट और आधा चम्मच रात को सोते समय सादे पानी के साथ लेने से यूरिक एसिड की समस्या में कमी आती है।

चरक संहिता में चोपचीनी का उल्लेख एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में किया गया है। इसे कुष्ठघ्न महाकाषाय (त्वचा रोगों को ठीक करने वाली जड़ी-बूटियों का समूह) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। चूंकि इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए गर्भवती महिलाओं और पेट संबंधी समस्याओं से ग्रसित लोगों को इसे सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए और बिना चिकित्सकीय सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

Point of View

जिसका उपयोग हजारों वर्षों से किया जा रहा है। इसकी कई स्वास्थ्य लाभ हैं, लेकिन इसका सेवन चिकित्सीय परामर्श के बिना नहीं करना चाहिए। यह जड़ी-बूटी भारत की पारंपरिक चिकित्सा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सुरक्षित रूप से उपयोग करना चाहिए।
NationPress
04/08/2025

Frequently Asked Questions

चोपचीनी के क्या लाभ हैं?
चोपचीनी त्वचा की समस्याओं, जोड़ों के दर्द और यूरिक एसिड की समस्या के उपचार में सहायक है।
क्या चोपचीनी का सेवन गर्भवती महिलाएं कर सकती हैं?
गर्भवती महिलाओं को चोपचीनी का सेवन करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए।
चोपचीनी का वैज्ञानिक नाम क्या है?
चोपचीनी का वैज्ञानिक नाम स्मिलैक्स चाइना है।
चोपचीनी का सेवन कैसे करना चाहिए?
चोपचीनी का चूर्ण खाली पेट सुबह और रात को सोते समय सादे पानी से लेना चाहिए।
क्या चोपचीनी का कोई साइड इफेक्ट है?
चोपचीनी का सेवन बिना चिकित्सकीय परामर्श के नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसकी तासीर गर्म होती है।