क्या जानुशीर्षासन पीठ दर्द में राहत देता है और रीढ़ व कंधों को लचीला बनाता है?
सारांश
Key Takeaways
- जानुशीर्षासन तनाव को कम करता है।
- यह पीठ दर्द में राहत प्रदान करता है।
- यह रीढ़ और कंधों को लचीला बनाता है।
- सही तरीके से करने से इसके लाभ अधिक होते हैं।
- योग विशेषज्ञ की सलाह महत्वपूर्ण है।
नई दिल्ली, 24 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में, कई लोग तनाव और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं। ऐसे में योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि मानसिक शांति भी लाता है। इस संदर्भ में 'जानुशीर्षासन' तनाव को कम करने और शरीर को लचीला बनाने में मदद करता है।
जानुशीर्षासन एक संस्कृत शब्द है, जिसमें 'जानु' का अर्थ है घुटना और 'शीर्ष' का अर्थ है सिर। यह एक बैठकर किया जाने वाला योगासन है, जिसमें सिर को घुटने से छूने का प्रयास किया जाता है। यह आसन सभी लोग कर सकते हैं, लेकिन पीठ दर्द या गर्भवती महिलाओं को इसे करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, इस आसन को दंडासन की मुद्रा में बैठकर, एक पैर को मोड़ते हुए, एड़ी को पेरिनियम के पास रखते हुए आगे झुकना होता है और सिर को घुटने से छूने का प्रयास करना होता है। यह आसन शरीर को लचीला और मन को शांत करता है।
यह एक प्रभावी योगासन है, जो तनाव को कम करता है, रीढ़ और हैमस्ट्रिंग में खिंचाव लाता है, पाचन को सुधारता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
आयुर्वेद के अनुसार, यह रीढ़, कंधों, कूल्हों और जांघों को लचीला और मजबूत बनाता है। इसके अलावा, यह पीठ दर्द में भी आराम देता है।
इस आसन को करने के लिए दंडासन की मुद्रा में बैठें। फिर दोनों पैरों को आगे फैलाएं, रीढ़ को सीधा रखें और दाहिने पैर को मोड़ें, एड़ी को बाएं जांघ के अंदर रखें। अब सांस छोड़ते हुए आगे झुकें। बाएं पैर की उंगलियों को पकड़ने का प्रयास करें और सिर को बाएं घुटने की ओर लाएं। इसी मुद्रा में अपनी क्षमता के अनुसार रुकें और गहरी सांस लें। फिर वही प्रक्रिया दूसरी तरफ दोहराएं। शुरुआत में जानुशीर्षासन करते समय स्ट्रैप या तकिए का सहारा लिया जा सकता है।
शुरुआत में इसे किसी योग विशेषज्ञ की सलाह से ही करें, और ध्यान दें कि यदि हाल ही में कोई सर्जरी हुई है या आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, तो इसे करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना उचित है।