क्या कमर दर्द से परेशान हैं? दो आसान उपाय जो आपके दिमाग से जुड़े हैं!

सारांश
Key Takeaways
- माइंडफुलनेस और सीबीटी से कमर दर्द में सुधार संभव है।
- दर्द को दुश्मन नहीं, बल्कि संकेत समझें।
- सिर्फ 10 मिनट का ध्यान दैनिक जीवन में बदलाव लाएगा।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखना आवश्यक है।
- इन उपायों में दवा या सर्जरी की आवश्यकता नहीं है।
नई दिल्ली, १८ अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। कमर दर्द अब केवल एक शारीरिक समस्या नहीं रह गई है, बल्कि यह आधुनिक जीवन की थकान का प्रतीक बन चुका है। लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करना, मानसिक तनाव, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधियों का अभाव—ये सभी कारक पीठ में दर्द का कारण बनते हैं, जो धीरे-धीरे हमारी दैनिक गतिविधियों पर असर डालता है। लेकिन हाल ही में एक वैज्ञानिक अध्ययन ने नई उम्मीद की किरण दिखाई है। जेएएमए नेटवर्क ओपन में छपे एक अध्ययन के अनुसार, दवाइयों में राहत नहीं, बल्कि हमारे मन और विचारों में हो सकती है।
इस अध्ययन में 770 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि माइंडफुलनेस-बेस्ड थेरेपी (एमबीटी) और कोग्नेटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) दोनों ने कमर दर्द को काफी हद तक कम किया। यह सुनने में अजीब लग सकता है, लेकिन यह सच है कि कई बार शारीरिक दर्द हमारे मानसिक तनाव और भावनात्मक बोझ से गहराई से जुड़ा होता है।
माइंडफुलनेस-आधारित थेरेपी का मूल सिद्धांत सरल है। वर्तमान में जीना और अपने शरीर के प्रति दयालु रहना, थेरेपी हमें यह सिखाती है कि दर्द को दुश्मन के रूप में नहीं, बल्कि एक संकेत के रूप में देखना चाहिए। जब मन शांत होता है, तब शरीर तनाव मुक्त होकर मांसपेशियों में कड़ापन कम करता है। गहरी साँस लेना, आंखें बंद कर बैठना और हर श्वास को महसूस करना—ये साधारण क्रियाएँ भी बड़ी राहत दे सकती हैं।
कोग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी दर्द पर नहीं, बल्कि दर्द के प्रति हमारी सोच पर ध्यान केंद्रित करती है। यह हमें सिखाती है कि “मैं चल नहीं सकता” या “मेरा दर्द कभी ठीक नहीं होगा” जैसी नकारात्मक सोच वास्तव में दर्द को और बढ़ा देती है। जब हम इन विचारों की जगह “मैं ठीक हो सकता हूं” और “मेरा शरीर मजबूत है” जैसे सकारात्मक विचारों को अपनाते हैं, तो दर्द की तीव्रता भी कम होती है।
इस अध्ययन से यह स्पष्ट होता है कि जिन्होंने आठ सप्ताह तक एमबीटी या सीबीटी का अभ्यास किया, उन्होंने न केवल दर्द में कमी देखी, बल्कि बेहतर नींद, मूड और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार का अनुभव किया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन उपायों में दवा, इंजेक्शन या सर्जरी की आवश्यकता नहीं थी; यह सिर्फ मन और शरीर के बीच संवाद को मजबूत करने का अभ्यास था।
इन तरीकों को अपनाने के लिए किसी महंगे उपकरण की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ 10 मिनट का समय निकालकर शांत बैठकर अपनी साँसों पर ध्यान केंद्रित करना या किसी प्रशिक्षित विशेषज्ञ के सीबीटी ऑडियो सत्रों को सुनना प्रारंभ करने के लिए पर्याप्त हो सकता है। शरीर की सीमाओं को स्वीकारते हुए हर दिन छोटे-छोटे बदलाव लाना ही सच्चा उपचार है।
कमर दर्द केवल हड्डियों का नहीं, बल्कि आदतों का भी मामला है। जब हम अपने विचारों और भावनाओं को संतुलित रखते हैं, तो शरीर खुद-ब-खुद ठीक होने लगता है।