क्या स्मार्टफोन आपकी सेहत के लिए खतरा बन रहा है? लंबी स्क्रीन टाइमिंग से स्पॉन्डिलाइटिस का जोखिम
सारांश
Key Takeaways
- मोबाइल का अत्यधिक उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
- लंबी स्क्रीन टाइमिंग से स्पॉन्डिलाइटिस का खतरा बढ़ता है।
- सही मुद्रा में बैठना बहुत जरूरी है।
- नीली रोशनी से बचने के लिए स्क्रीन फिल्टर्स का उपयोग करें।
- मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी मोबाइल का सीमित उपयोग आवश्यक है।
नई दिल्ली, 29 दिसंबर (राष्ट्र प्रेस)। आज के डिजिटल युग में मोबाइल हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है। रात को सोने से पहले और सुबह उठने के बाद अधिकांश लोग मोबाइल के साथ समय व्यतीत करते हैं। सोशल मीडिया और इंटरनेट की दुनिया ने हमें आपस में जोड़ने का कार्य किया है, लेकिन इसने हमारी सेहत पर एक बड़ा नकारात्मक प्रभाव भी डाला है।
लंबे समय तक मोबाइल के उपयोग से न केवल हमारी आंखों में थकान होती है, बल्कि शरीर के कई हिस्सों में गंभीर समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
विज्ञान के अनुसार, मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से कमर दर्द, गर्दन और कंधों में तनाव, स्पॉन्डिलाइटिस और रीढ़ की हड्डी की समस्याओं में वृद्धि हो रही है। इसे 'टेक नेक' या 'स्मार्टफोन सिंड्रोम' भी कहा जाता है। जब हम लंबे समय तक फोन को झुकाकर देखते हैं, तो हमारी रीढ़ की हड्डी पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे मांसपेशियों में खिंचाव, जोड़ों में दर्द और हड्डियों की कमजोरी तक हो सकती है।
स्पॉन्डिलाइटिस एक ऐसी समस्या है जिसमें रीढ़ की हड्डी के जोड़ों में सूजन आ जाती है। मोबाइल फोन का लगातार झुककर प्रयोग करने से यह खतरा बढ़ता है। विशेषकर युवा और किशोर वर्ग में यह समस्या तेजी से फैल रही है। लोग लंबे समय तक मोबाइल पर गेम खेलते हैं, वीडियो देखते हैं या सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। इस दौरान वे अपनी पीठ और कमर को सही मुद्रा में नहीं रखते, जिससे मांसपेशियों और हड्डियों पर निरंतर दबाव पड़ता है। धीरे-धीरे यह स्थिति कमर और गर्दन के गंभीर दर्द में बदल सकती है।
मोबाइल फोन के लगातार उपयोग से केवल कमर या गर्दन ही नहीं, बल्कि हमारी आंखें भी प्रभावित होती हैं। मोबाइल स्क्रीन की नीली रोशनी आंखों की रेटिना और रोशनी पर असर डाल सकती है। लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों में जलन, सूखापन, धुंधला दिखना और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
मोबाइल का अत्यधिक उपयोग केवल शारीरिक स्वास्थ्य को ही प्रभावित नहीं करता, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है। लगातार नोटिफिकेशन, सोशल मीडिया की तुलना और ऑनलाइन प्रतियोगिताओं में भाग लेने की आदत तनाव, चिंता और नींद की कमी का कारण बन सकती है। नींद की कमी से शरीर की ऊर्जा और मांसपेशियों की रिकवरी प्रभावित होती है, जिससे मानसिक रूप से भी थकान महसूस होती है।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि मोबाइल का उपयोग सीमित समय के लिए करें और स्क्रीन को आंखों की ऊंचाई पर रखें। लंबे समय तक फोन का उपयोग करते समय बीच-बीच में ब्रेक लें और स्ट्रेचिंग करें। सही मुद्रा में बैठना बहुत जरूरी है, पीठ सीधी और कंधे आराम से रखने चाहिए। इसके अलावा, नीली रोशनी को कम करने वाले ऐप्स या स्क्रीन फिल्टर्स का इस्तेमाल करना आंखों को सुरक्षित रखने में मदद करता है।