क्या योग और प्राणायाम से मुंह के छालों में राहत मिल सकती है?

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क्या योग और प्राणायाम से मुंह के छालों में राहत मिल सकती है?

सारांश

क्या आप मुंह के छालों से परेशान हैं? जानिए योग और प्राणायाम कैसे लाते हैं राहत। ये तकनीकें न केवल दर्द कम करती हैं, बल्कि मानसिक तनाव को भी दूर करती हैं। इस लेख में हम बताएंगे कि कैसे आप अपने जीवन की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं।

Key Takeaways

  • योग और प्राणायाम मुंह के छालों में राहत देते हैं।
  • शीतली प्राणायाम से शरीर का तापमान नियंत्रित होता है।
  • सूर्य नमस्कार प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  • सेतु बंधासन रक्त संचार को सुधारता है।
  • मानसिक तनाव को कम करने में योग सहायक है।

नई दिल्ली, 30 अक्टूबर (राष्ट्र प्रेस)। अक्सर मुंह में छाले होने से खाने-पीने, बोलने या मुस्कुराने में लोगों को गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ज़्यादातर लोग इसे कुछ दिनों की समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, परंतु यदि यह बार-बार होने लगे तो यह चिंता का विषय बन सकता है। आयुष मंत्रालय के अनुसार, मुंह के छाले (अल्सर) शरीर में विटामिन की कमी का संकेत भी हो सकते हैं। योग और प्राणायाम के माध्यम से इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

शीतली प्राणायाम: मुंह के छालों का एक प्रमुख कारण शरीर में गर्मी का बढ़ जाना है। जब हम शीतली प्राणायाम करते हैं, तो यह शरीर के अंदरूनी तापमान को नियंत्रित करता है और शीतलता लाता है। नतीजतन, मुंह की नाजुक झिल्लियों पर तनाव कम होता है और जलन तथा दर्द में राहत मिलती है।

यह पाचन शक्ति को भी मजबूत करता है, जिससे भोजन जल्दी और सही तरीके से पचता है। मुंह के छालों का कारण बनने वाली आंतरिक गर्मी और विषाक्त तत्व बाहर निकल जाते हैं। नियमित अभ्यास से शरीर में ठंडक बनी रहती है और मुंह की चोटों से उबरने की प्रक्रिया तेज होती है।

शीतकारी प्राणायाम: शीतकारी प्राणायाम भी इसी तरह का लाभ देता है, लेकिन यह मानसिक शांति और शरीर के अंदरूनी संतुलन पर अधिक प्रभाव डालता है। यह प्राणायाम मुंह और जीभ को शांत करके पित्त और गर्मी को नियंत्रित करता है। जब शरीर का अग्नि तत्व संतुलित रहता है, तो मुंह में जलन और दर्द कम होता है।

यह पूरे शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करता है। इससे केवल मुंह के छाले ही नहीं, बल्कि शरीर की अन्य समस्याएं जैसे तनाव, थकान और पेट की गर्मी भी कम होती है। मानसिक तनाव और चिंता भी मुंह के घावों को बढ़ा सकते हैं और शीतकारी प्राणायाम इसमें भी राहत प्रदान करता है।

सूर्य नमस्कार: सबसे प्रसिद्ध योगासनों में से सूर्य नमस्कार एक है। यह मुंह के छालों को रोकने में अप्रत्यक्ष रूप से मदद करता है। इस आसन का नियमित अभ्यास शरीर की प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है तो मुंह में छोटे-छोटे घाव बनने की संभावना काफी कम हो जाती है।

सूर्य नमस्कार से शरीर का रक्त संचार और ऊर्जा स्तर बढ़ता है, जिससे विटामिन और पोषक तत्व शरीर में सही तरीके से पहुंचते हैं। यही कारण है कि मुंह के छाले और अन्य छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याएं जैसे त्वचा की समस्या या थकान भी धीरे-धीरे कम होती हैं।

सेतु बंधासन: सेतु बंधासन भी मुंह के छालों के खिलाफ लड़ाई में सहायक है। यह आसन हृदय रक्त को रक्त वाहिकाओं के माध्यम से पूरे शरीर में पंप करने में मदद करता है, जिससे ऑक्सीजन, पोषक तत्व और हार्मोन कोशिकाओं तक पहुंचते हैं। ऐसे में चोटें और मुंह के छाले जल्दी भरते हैं। इसके अलावा, यह आसन तनाव और चिंता को कम करता है।

Point of View

यह स्पष्ट है कि योग और प्राणायाम न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी हैं। समाज के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां हम अपने स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
NationPress
30/10/2025

Frequently Asked Questions

क्या योग से मुंह के छालों में राहत मिल सकती है?
हाँ, योग और प्राणायाम मुंह के छालों में राहत प्रदान करने में मदद करते हैं।
शीतली प्राणायाम कैसे मदद करता है?
शीतली प्राणायाम शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है, जिससे जलन और दर्द में राहत मिलती है।
सूर्य नमस्कार का क्या लाभ है?
सूर्य नमस्कार प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे मुंह के छालों की संभावना कम होती है।
क्या मानसिक तनाव मुंह के छालों को बढ़ा सकता है?
जी हाँ, मानसिक तनाव मुंह के घावों को बढ़ा सकता है।
सेतु बंधासन का क्या महत्व है?
सेतु बंधासन रक्त संचार को सुधारता है, जिससे मुंह के छाले जल्दी भरते हैं।